Navratri:नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा: सम्पूर्ण गाइड (वेदिक प्रमाण सहित)
Navratri:नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है, जिन्हें Navadurga कहा जाता है। हर दिन का विशेष महत्व है, और प्रत्येक दिन एक अलग देवी की पूजा का विधान है। यहाँ हम आपको बताएंगे कि Navratri नवरात्रि के नौ दिनों में कौन-कौन से देवी के रूपों की पूजा की जाती है, साथ ही उनके महत्त्व और वेदिक प्रमाण भी प्रदान करेंगे।
1. शैलपुत्री (Shailaputri)
पूजा का दिन: नवरात्रि Navratri का पहला दिन
महत्व: माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। यह माँ दुर्गा का पहला रूप है। इनकी पूजा से साधक को स्थिरता और धैर्य प्राप्त होता है।
वेदिक प्रमाण: शैलपुत्री की महिमा “शिवपुराण” और “मार्कण्डेय पुराण” में उल्लेखित है। इनके ध्यान और मंत्रों का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में मिलता है।
मंत्र: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
2. ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
पूजा का दिन: दूसरा दिन
महत्व: माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या का प्रतीक हैं। इनकी पूजा से भक्त को संयम और साधना की शक्ति मिलती है।
वेदिक प्रमाण: ब्रह्मचारिणी की पूजा का उल्लेख “मार्कण्डेय पुराण” में मिलता है। यह रूप सती के रूप में वर्णित है।
मंत्र: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
3. चंद्रघंटा (Chandraghanta)
पूजा का दिन: तीसरा दिन
महत्व: माँ चंद्रघंटा शांति और साहस की देवी हैं। इनके माथे पर अर्धचंद्र है, जो इनकी शक्ति का प्रतीक है।
वेदिक प्रमाण: चंद्रघंटा की पूजा का उल्लेख भी दुर्गा सप्तशती और मार्कण्डेय पुराण में है।
मंत्र: “ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः”
4. कूष्मांडा (Kushmanda)
पूजा का दिन: चौथा दिन
महत्व: माँ कूष्मांडा सृजन की शक्ति का प्रतीक हैं। माना जाता है कि इन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया।
वेदिक प्रमाण: कूष्मांडा देवी की महिमा “देवी भागवत” में वर्णित है।
मंत्र: “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”
5. स्कंदमाता (Skandamata)
पूजा का दिन: पांचवा दिन
महत्व: माँ स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। इनकी पूजा से साधक को मातृस्नेह और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
वेदिक प्रमाण: स्कंदमाता की पूजा का उल्लेख भी देवी भागवत और मार्कण्डेय पुराण में मिलता है।
मंत्र: “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः”
6. कात्यायनी (Katyayani)
पूजा का दिन: छठा दिन
महत्व: माँ कात्यायनी युद्ध की देवी मानी जाती हैं, जो बुराई का नाश करती हैं।
वेदिक प्रमाण: कात्यायनी की पूजा का उल्लेख कालिका पुराण में किया गया है।
मंत्र: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
7. कालरात्रि (Kalaratri)
पूजा का दिन: सातवां दिन
महत्व: माँ कालरात्रि सभी नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेतों का नाश करती हैं।
वेदिक प्रमाण: इनकी पूजा का वर्णन दुर्गा सप्तशती में मिलता है।
मंत्र: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
8. महागौरी (Mahagauri)
पूजा का दिन: आठवां दिन
महत्व: माँ महागौरी शांति, पवित्रता और ज्ञान की देवी हैं। इनकी पूजा से साधक को शुद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।
वेदिक प्रमाण: इनकी महिमा देवी भागवत और शिवपुराण में वर्णित है।
मंत्र: “ॐ देवी महागौर्यै नमः”
9. सिद्धिदात्री (Siddhidatri)
पूजा का दिन: नवा दिन
महत्व: माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की दात्री हैं। इनकी पूजा से भक्त को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
वेदिक प्रमाण: इनकी पूजा का उल्लेख “शिवपुराण” और “देवी भागवत” में किया गया है।
मंत्र: “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
निष्कर्ष:
Navratri:नवरात्रि में देवी दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करके साधक अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं। यह नौ दिन आत्मशुद्धि और साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वेदों और पुराणों में इनकी महिमा का वर्णन कर, नवरात्रि Navratri की पूजा को और भी अधिक महत्व दिया गया है।
Sources:
- मार्कण्डेय पुराण
- शिवपुराण
- देवी भागवत
- दुर्गा सप्तशती