पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के बाद, हम नवरात्रि 2023 (द्वितीया तिथि) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. इसलिए, आइए मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और आरती के बोलों पर एक नजर डालते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी से जुड़े रोचक तथ्य
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था. नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें. कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं. ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं.
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मां ब्रह्मचारिणी की पुजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद मांं ब्रह्मचारिणी की फोटो को चौकी में रखकर गंगाजल छिड़ककर स्नान कराएं और उसके बाद देवी को वस्त्र, पुष्प, फल, आदि अर्पित करें. देवी की पूजा में आज विशेष रूप से सिन्दूर और लाल पुष्प जरूर अर्पित करें. मान्यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में केसर की खीर, हलवा या फिर चीनी का भोग लगाने पर शीघ्र ही देवी कृपा प्राप्त होती है और साधक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा रंग
ऐसा माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी को लाल रंग पसंद है, जिसे आमतौर पर इस दिन के भक्तों द्वारा सजाया जाता है। इसे प्यार और समृद्धि का रंग माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी के लिए भोग और मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी के भोग के लिए पंचामृत अर्पित कर सकते हैं । फिर फल, एक पूरा नारियल, केला, पान और सुपारी, हल्दी और कुमकुम चढ़ाएं। आरती गाकर ब्रह्मचारिणी पूजा का समापन करें और कपूर जलाकर देवी को प्रणाम करें या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता,
जय चतुरानन प्रिया सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाते हो,
ज्ञान सभी को सिखाते हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा,
जिसको जपे सकल संसार।
जय गायत्री वेद की माता,
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहाणे न पाए,
कोई भी दुख सहने ना पाए।
मां दुर्गा मंत्र
सर्व मंगला मंगल्ये, शिव सर्वार्थ साधिका
शरण्ये त्रयम्बके गौरी, नारायणी नमोस्तुते
सर्व स्वरूपे सर्वेशे, सर्व शक्ति समन्वयते
भये भ्यस्त्राही नो देवी, दुर्गे देवी नमोस्तुते
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचना त्रयभुषितम्
पातु नः सर्वभितिभ्यः कात्यायनि नमोस्तुते
ज्वाला करला मत्युग्राम शेषासुर सुदानम्
त्रिशूलं पातु नो भितर भद्रकाली नमोस्तुते
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थितः
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः