दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती का चतुर्थ अध्याय, जिसे “स्तुति और आशीर्वाद” का अध्याय भी कहा जाता है, देवी दुर्गा की महिमा और उनके द्वारा राक्षसों के वध के बाद देवताओं द्वारा की गई स्तुति पर केंद्रित है। इस अध्याय में प्रमुख असुर चंड और मुंड का वध होता है, और देवी चामुंडा के रूप में प्रतिष्ठित होती हैं। इसके बाद देवता देवी की स्तुति करते हैं और देवी उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

दुर्गा सप्तशती
दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती चतुर्थ अध्याय का विस्तृत सार

चंड-मुंड का वध (Killing of Chanda and Munda)

दुर्गा सप्तशती असुरराज शुंभ और निशुंभ के आदेश से, उनके सेनापति चंड और मुंड देवी दुर्गा पर आक्रमण करने के लिए निकलते हैं। जब चंड और मुंड अपनी विशाल सेना लेकर देवी के पास पहुँचते हैं, तो देवी ने अपना रौद्र रूप प्रकट किया। इस रौद्र रूप में देवी काली (या चामुंडा) का अवतार लेती हैं और अत्यंत क्रोध में आकर दोनों असुरों का वध कर देती हैं।

श्लोक (Slokas related to the Killing of Chanda and Munda):

प्रच्छाद्य चा चण्डमुण्डं महागजौ। जगाम दुष्टौ निहन्तुं महाबलौ।

अर्थ: “देवी ने चंड और मुंड, जो बड़े गज (हाथी) के समान ताकतवर थे, को ढँक कर उनका संहार कर दिया।”

चण्डं च मुण्डं च तया हतौ ततः। सा चामुण्डेति विख्याता भवेद्ध्यतः।।

अर्थ: “चंड और मुंड के वध के बाद, देवी का नाम चामुंडा पड़ा, क्योंकि उन्होंने उन दोनों असुरों का वध किया था।”

देवताओं द्वारा स्तुति (Praise by the Gods)

चंड और मुंड के वध के बाद, सभी देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और देवी की स्तुति करने लगे। उन्होंने देवी की महिमा का गुणगान किया और उन्हें संसार की अधिष्ठात्री शक्तियों में से सबसे महत्वपूर्ण मानकर उनकी स्तुति की।

देवी की स्तुति से जुड़े कुछ प्रमुख श्लोक (Important Slokas from the Praise of the Goddess):

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अर्थ: “वह देवी जो सभी प्राणियों में बुद्धि रूप में स्थित हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम।”

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अर्थ: “वह देवी जो सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम।”

इस स्तुति में सभी देवताओं ने देवी को नमस्कार किया और कहा कि वे ही संसार के समस्त जीवों की रक्षक हैं। उनकी शक्ति और बुद्धि से ही संसार का संचालन होता है।

देवताओं को आशीर्वाद (Blessings to the Gods)

देवी की स्तुति से प्रसन्न होकर, उन्होंने देवताओं को आशीर्वाद दिया और उन्हें संकटों से मुक्त किया। उन्होंने कहा कि जब भी कोई असुर या अन्य संकट उत्पन्न होगा, वे स्वयं प्रकट होकर उनकी रक्षा करेंगी। इसके साथ ही, देवी ने यह भी कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करेगा, वह सभी संकटों से मुक्त होगा।

वेदाहं सम्प्रतीतानि, वर्तमानानि चार्जुन। भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन॥

अर्थ: “मैं भूत, वर्तमान और भविष्य की सभी घटनाओं को जानती हूं, लेकिन मुझे कोई नहीं जान सकता।”

चतुर्थ अध्याय के प्रमुख बिंदु (Key Takeaways from Fourth Chapter)

  1. चंड और मुंड का वध: इस अध्याय में देवी ने अपने चामुंडा रूप में प्रकट होकर चंड और मुंड का वध किया।
  2. देवताओं की स्तुति: चंड-मुंड के वध के बाद, देवताओं ने देवी दुर्गा की महिमा का गुणगान किया और उनके शौर्य की प्रशंसा की।
  3. देवी का आशीर्वाद: देवी दुर्गा ने देवताओं को आशीर्वाद देकर यह आश्वासन दिया कि जब भी कोई संकट आएगा, वे उनकी रक्षा के लिए अवतरित होंगी।

चतुर्थ अध्याय का महत्व (Importance of Fourth Chapter)

  1. देवी का रौद्र रूप: यह अध्याय देवी के रौद्र और विनाशकारी रूप को प्रदर्शित करता है, जिसमें वे चंड और मुंड जैसे शक्तिशाली असुरों का नाश करती हैं।
  2. शक्ति और न्याय: देवी दुर्गा केवल शक्ति की देवी नहीं हैं, बल्कि वे न्याय की अधिष्ठात्री भी हैं। वे अधर्म का नाश करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं।
  3. भक्तों की रक्षा: देवी ने अपने भक्तों को यह आश्वासन दिया कि वे सदैव उनकी रक्षा करेंगी, चाहे संकट कितना भी बड़ा हो।

चतुर्थ अध्याय के मुख्य मंत्र (Main Mantras from Fourth Chapter)

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

यह महामंत्र देवी चामुंडा की शक्ति का आह्वान करता है और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

यह मंत्र देवी की शक्ति को समर्पित है और उनकी सर्वव्यापी ऊर्जा का गुणगान करता है।

चतुर्थ अध्याय से प्राप्त शिक्षा (Lessons from the Fourth Chapter)

  1. अधर्म का नाश: यह अध्याय यह सिखाता है कि चाहे संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, देवी दुर्गा सदैव धर्म की रक्षा करती हैं और अधर्म का नाश करती हैं।
  2. भक्ति और समर्पण: देवी दुर्गा की स्तुति करने से न केवल भौतिक संकटों का नाश होता है, बल्कि आंतरिक शांति और शक्ति भी प्राप्त होती है।
  3. देवी की महाशक्ति: चंड-मुंड जैसे बलशाली असुरों का नाश देवी दुर्गा की महाशक्ति और उनके रौद्र रूप की महिमा को दर्शाता है।

दुर्गा सप्तशती

  • दुर्गा सप्तशती चतुर्थ अध्याय (Durga Saptashati Fourth Chapter)
  • चामुंडा देवी का वध (Chamunda Devi Vadh)
  • दुर्गा सप्तशती मंत्र (Durga Saptashati Mantra)
  • चंड-मुंड का वध (Killing of Chanda and Munda)
  • नवरात्रि सप्तशती पाठ (Navratri Saptashati Path)
  • देवी दुर्गा की महिमा (Glory of Goddess Durga)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *