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Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date

Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date : वर्षभर में कुल 24 एकादशी होती हैं, और हर एकादशी भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह एकादशी श्रीविष्णु के मोहिनी स्वरूप की आराधना का पावन पर्व है।

Mohini Ekadashi May 2025:सनातन धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पावन और प्रभावकारी माना गया है। Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date हर महीने दो बार आने वाली एकादशी न केवल व्रत और उपवास की तिथि है, बल्कि यह आत्मचिंतन, प्रभु भक्ति और मोक्ष की ओर बढ़ने का अवसर भी है। वर्षभर में कुल 24 एकादशी होती हैं, और हर एकादशी भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है।

इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है। Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date यह एकादशी श्रीविष्णु के मोहिनी स्वरूप की आराधना का पावन पर्व है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पापों का नाश होता है, जीवन में सुख-शांति आती है और मन की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं कब है मोहिनी एकादशी क्या है शुभ मुहूर्त और योग।

When is Mohini Ekadashi:कब है मोहिनी एकादशी?

Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date:हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10:19 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 8 मई को दोपहर 12:29 मिनट पर तिथि खत्म होगी। इस साल मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई 2025 को गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

पारण समय : 9 मई, प्रातः 5:34 से लेकर 8:16 तक

Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date:शुभ योग

इस वर्ष मोहिनी एकादशी के दिन भद्रवास योग बन रहा है, जो इस व्रत को और भी प्रभावशाली बनाता है। इस योग में किया गया व्रत और जप अनेक गुना पुण्य प्रदान करता है।

Importance of Mohini Ekadashi:मोहिनी एकादशी का महत्व

Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date:सनातन धर्म में मोहिनी एकादशी को अत्यंत पुण्यदायक और मोह-माया से मुक्ति दिलाने वाली तिथि माना गया है। यह व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है और भगवान श्रीहरि विष्णु के मोहिनी रूप को समर्पित है।
मोहिनी नाम स्वयं संकेत करता है,यह वह दिव्य रूप है जिसमें भगवान विष्णु ने असुरों को मोह में डालकर देवताओं को अमृत प्रदान किया था। यह रूप सत्य की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। शास्त्रों में वर्णन है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी इस एकादशी का व्रत रखा था। इसी व्रत की कृपा से उन्हें अनेक बाधाओं से मुक्ति और जीवन में विजय प्राप्त हुई।

माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा से इस दिन उपवास रखता है, प्रभु विष्णु की पूजा करता है और अपने आचरण में सात्विकता लाता है, उसे न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की उलझनों और मोह के बंधनों से भी छुटकारा मिलता है। Mohini Ekadashi Vrat 2025 Date यह व्रत मन की शुद्धि, आत्मिक बल, और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बनाता है। भक्त का चित्त भगवान की ओर उन्मुख होता है और वह सांसारिक भ्रमों से ऊपर उठकर परम सत्य से जुड़ता है।

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पूजा विधि puja vidhi

प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।

रोली, चंदन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, और तुलसी दल से पूजा करें।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र  का जप करें।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

श्रीहरि की आरती करें और दीपदान करें।

पूरे दिन सात्विकता का पालन करें, मन, वचन और कर्म से पवित्र बने रहें।

कपट, क्रोध, लालच, द्वेष और परनिंदा से दूर रहें।

व्रत के साथ दान का भी विशेष महत्व है। ठंडी वस्तुओं जैसे आम, खरबूजा, शर्बत, ठंडाई, जल आदि का दान करना शुभ फलदायक माना गया है।

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