Laxmi prapti upay : आज दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है और शाम के समय भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाएगी। रूठी लक्ष्मी को मनाने और घर पर बुलाने के लिए अनेक उपाय तंत्र-मंत्र के ग्रंथों से लेकर लाल किताब, वास्तु शास्त्र एवं धार्मिक ग्रंथों में वर्णित हैं। दीपावली के दिन इन उपायों को अवश्य करें।

दीपावली के दिन सर्वप्रथम घर की अच्छी प्रकार से सफाई करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मुख्य द्वार को स्वच्छ और साफ करके उसकी सजावट करें तथा रंगोली फूलों और दीयों से सजाऐं।

लक्ष्मी जी का स्वागत करने के लिए प्रवेश द्वार पर कमल का फूल या रंगोली में श्री का चिन्ह बनाना शुभकारी है।

प्रदोषकाल में स्थिर लग्न का चयन कर लक्ष्मी पूजन हेतु संपूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित करके लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियों को सम्मुख रखकर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साफ कपड़े से पोंछ कर पूजा घर में शुद्ध आसन पर स्थापित करें।

कम से कम पांच अथवा ग्यारह, दीपक जलाकर पूजा स्थल पर भगवान के सम्मुख रखें, जिसके पश्चात् पूरे घर में दीपमालिका प्रज्जविलत करें।

धूप-दीप से पूजा करें, नैवेद्य मिठाई खील, बताशे फल आदि का भोग लगाएं, तथा दक्षिणा अर्पण करें।

कपूर से आरती करें तथा पूजा आदि में कोई त्रुटि आदि हो गई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना करें ।

लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए पूरे परिवार के साथ गणेश, लक्ष्मी, हनुमान जी, सरस्वती जी, काली एवं कुबेर आदि देवों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

धन, भवन, वाहन, स्त्री, कन्या, यश, एकता, सद्बुद्धि, आठ रूपों में लक्ष्मी का वास माना गया है। धन लक्ष्मी, सौभाग्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, यश लक्ष्मी आदि स्वरूपों में लक्ष्मी का पूजन करें।

दीपावली देने का त्योहार है, जो व्यक्ति जरूरतमंदों को दान-पुण्य करता है, उसके इस पुण्य कार्य से मां लक्ष्मी उस पर प्रसन्न होकर उसे और ज्यादा धन-दौलत देती हैं। जैसे मान लीजिए आप दस लोगों को रोज़ भोजन कराने का संकल्प करते हैं, अगर आप उन्हें भोजन नहीं भी कराते तो किसी न किसी माध्यम से वे भोजन करेंगे ही, भूखे नहीं रहेंगे, लेकिन जब आप उन्हें भोजन कराते हैं,

तो उनसे संबंधित भाग्य, धन-लाभ आपको प्राप्त होता है। ये देने का नियम है, इसलिए जो व्यक्ति नियमित रूप से दान-पुण्य, भण्डारा आदि कराते रहते हैं, उनका धनकोष कभी खाली नहीं होता, बल्कि और बढ़ता जाता है। यह लक्ष्मीजी की कृपा और दान-पुण्य की महिमा है।

Laxmi prapti upay

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