Kilkari Bhairav Jayanti:भैरव जयंती त्यौहार भगवान शिव के भयानक रूप बाबा भैरव नाथ को समर्पित है। पौष शुक्ला द्वितिया के दिन होने के कारण, इस त्यौहार भैरव द्वितिया भी कहा जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में भैरव जयंती विभिन्न तिथियों के साथ मनाई जाती है।
Kilkari Bhairav Jayanti:किलकारी भैरव जयंती तिथि: बुधवार, 1 जनवरी 2025
इसे भैरवाष्टमी, भैरव जयंती, काल-भैरव अष्टमी और काल-भैरव जयंती के रूप में भी जाना जाता है। भैरव जी की पूजा विशेष रूप से सफलता, धन, स्वास्थ्य और बाधा दूर करने के लिए की जाती है। भक्त को भैरव अष्टमी का व्रत करने से पाप और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी में इस उत्सव को द्वितीय के दिन या बाद वाले अगले रविवार को मनाया जाता है। और आस-पास के क्षेत्र मे भैरव जयंती किलकरी भैरव मंदिर के अनुसार मनाई जाती है।
Kilkari Bhairav Jayanti:किलकारी भैरव जयंती 2025: आस्था, भक्ति और जागरण का पर्व
किलकारी भैरव जयंती, जो उत्तर भारत में विशेष महत्व रखती है, एक धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव है जो प्रत्येक वर्ष भैरव जयंती के दिन मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन किलकारी में स्थित भैरव मंदिर में भक्तों का उत्साह और श्रद्धा देखते ही बनती है।
Kilkari Bhairav Jayanti:किलकारी भैरव जयंती का महत्व
- भैरव भगवान की पूजा: किलकारी भैरव जयंती पर भक्तों द्वारा भगवान भैरव की विशेष पूजा की जाती है। यह दिन आस्था, भक्ति और जागरण का प्रतीक है।
- जागरनों और भजन संध्या: इस अवसर पर विभिन्न मंदिरों में भजन संध्या, जागरण और धार्मिक आयोजनों का आयोजन होता है। श्रद्धालु रातभर भजन करते हुए भैरव महाराज की उपासना करते हैं।
- समूह पूजा और हवन: इस दिन विशेष रूप से सामूहिक पूजा और हवन किए जाते हैं, जिससे सामाजिक और धार्मिक समरसता को बढ़ावा मिलता है।
- धार्मिक जागरण: भैरव जयंती के दिन विशेष धार्मिक जागरण होते हैं, जहां श्रद्धालु भक्ति और साधना में लीन होते हैं। यह दिन साधना और आत्मिक शांति की प्राप्ति का भी होता है।
- भक्ति एवं उत्सव का माहौल: किलकारी जैसे धार्मिक स्थलों पर इस दिन का वातावरण भक्ति और उत्सव का होता है, जहां श्रद्धालु भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए पूरे उत्साह के साथ शामिल होते हैं।