Khatu Shyam Birthday 2025 Mein Kab Hai: क्या आप जानते हैं कि कलियुग में भक्तों के ‘हारे का सहारा’ कहे जाने वाले बाबा खाटू श्याम जी का जन्मदिन (अवतरण दिवस) कब मनाया जाता है? पूरे भारत में लाखों भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू नगरी का भव्य मंदिर इस दिन विशेष रूप से सजाया जाता है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
आइए, जानते हैं बाबा श्याम के जन्मोत्सव की सही तारीख, उनका महत्व और महाभारत के बर्बरीक के श्याम बनने की अद्भुत कहानी।
खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब है? (Khatu Shyam Ji ka Janmdin Kab Hai 2025?)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Khatu Shyam Birthday बाबा खाटू श्याम जी का अवतरण दिवस हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि आमतौर पर देवउठनी एकादशी के दिन पड़ती है।
Khatu Shyam Birthday 2025 Date: बाबा खाटू श्याम का जन्मदिन 2025
इस साल (2025 में), बाबा खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भी Khatu Shyam Birthday खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें ‘श्याम अवतार’ होने का वरदान दिया था।
Top rated products
-
Gayatri Mantra Jaap for Wisdom and Knowledge
View Details₹5,100.00 -
Kaal Sarp Dosh Puja Online – राहु-केतु के दोष से पाएं मुक्ति
View Details₹5,100.00 -
Saraswati Mantra Chanting for Intelligence & Academic Success
View Details₹11,000.00 -
Surya Gayatri Mantra Jaap Online
View Details₹1,000.00 -
Kuber Mantra Chanting – Invoke the Guardian of Wealth
View Details₹11,000.00
Who was Khatu Shyam ji Story of Barbarik of Mahabharata period:कौन थे खाटू श्याम जी? महाभारत काल के बर्बरीक की कहानी
Khatu Shyam Birthday श्री खाटू श्याम जी का सीधा संबंध महाभारत काल से है। वह अत्यंत शक्तिशाली योद्धा बर्बरीक थे, जो पांडु पुत्र भीम और हिडिम्बा के बेटे घटोत्कच के पुत्र थे। इस प्रकार, बर्बरीक भीम के पौत्र थे। उनकी माता का नाम अहिलावती था।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था, तब बर्बरीक ने अपनी माता अहिलावती से पूछा कि उन्हें किसका साथ देना चाहिए। माता ने उन्हें वचन दिया था, “जो हार रहा हो, तुम उसी का सहारा बनो”। बर्बरीक ने माता के वचन का पालन किया।
भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम पहले से जानते थे। Khatu Shyam Birthday यदि बर्बरीक हारती हुई कौरव सेना का साथ देते, तो पांडवों की हार निश्चित थी। इसलिए, श्रीकृष्ण एक ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक के पास गए और उनसे भिक्षा में उनका शीश (सिर) मांग लिया।
शीश दान के महान बलिदान से प्रसन्न होकर, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को यह वरदान दिया कि कलियुग में उन्हें भगवान कृष्ण के नाम यानी ‘श्याम’ से पूजा जाएगा, और वह प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे।
जिस स्थान पर बर्बरीक का शीश रखा गया था (खाटू नगर, सीकर), वहां आज भी खाटू श्याम जी विराजते हैं। चूंकि बर्बरीक ने कहा था कि वह हमेशा हारने वाले का पक्ष लेंगे, इसलिए उन्हें ‘हारे का सहारा’ कहा जाता है।
Angarki Chaturthi 2026 Date And Time: अंगारकी चतुर्थी तिथियां, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि – जानें क्यों है यह दिन इतना खास ?
Angarki Chaturthi 2026 mein Kab Hai: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, जो अपने भक्तों के…
Prayagraj Magh Mela 2026: माघ मेला प्रयागराज कल्पवास क्यों है मोक्षदायी? जानिए पौराणिक रहस्य
Prayagraj Magh Mela 2026 Start And End Date: तीर्थराज प्रयाग में संगम के पावन तट पर आयोजित होने वाला माघ…
Paush Vinayak Chaturthi 2025: साल की अंतिम विनायक चतुर्थी पर बना है शुभ संयोग, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Paush Vinayak Chaturthi 2025 Mein Kab Hai: पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में…
special treat on birthday:जन्मोत्सव पर लगने वाला विशेष भोग
खाटू श्याम Khatu Shyam Birthday जन्मोत्सव के अवसर पर राजस्थान के मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन संध्या और प्रसाद वितरण के आयोजन होते हैं।
माना जाता है कि बाबा श्याम को चूरमा और दूध के पेड़े का भोग अत्यंत प्रिय है। हजारों श्रद्धालु बाबा को यह विशेष भोग अर्पित करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से पेड़े या चूरमे का भोग लगाकर प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आप भी इस खास अवसर पर घर पर बने दूध के पेड़े या चूरमे का भोग लगाकर बाबा श्याम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं!
How did Barbarik become Khatu Shyam:बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम?
चलिए अब जानते हैं कि कैसे महाभारत काल के Khatu Shyam Birthday बर्बरीक कलियुग में ‘सबके हारे का सहारा’ बन गए। दरअसल, खाटू श्याम जी भीम और हिडिंबा के बेट घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इनका वर्णन महाभारत की कथा में कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध के दौरान मिलता है। बर्बरीक की माता का नाम अहिलावती था। बर्बरीक को महाभारत युद्ध में जाने की अनुमति मिली, तो उन्होंने अपनी से पूछा कि मैं युद्ध में किसका साथ दूं? तब अहिलावती ने कहा था, ‘जो हार रहा हो, तुम उसी का सहारा बनो।’
बर्बरीक ने माता के वचन का पालन किया। वहीं, श्रीकृष्ण युद्ध का अंत जानते थे। उन्होंने विचार किया किया कि अगर कौरवों को हारता देख बर्बरीक युद्ध में उनका साथ देने लगा देने लगा, तो पांडवों की हार निश्चित है। ऐसे में श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण बनकर भिक्षा में बर्बरीक से शीश का दान मांगा।
तब बर्बरीक ने यह सोचा कि आखिर कोई ब्राह्मण मुझसे शीश क्यों मांगेगा? और उन्होंने ब्राह्मण से असली रूप के दर्शन देने की बात की। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप में दर्शन दिए। बर्बरीक ने अपना शीश प्रभु को दान कर दिया। बर्बरीक को अपने शीश का दान करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने यह आशीर्वाद दिया कि कलयुग में तुम्हें मेरे नाम से ही पूजा जाएगा और प्रसिद्धि मिलेगी।
वहीं, राजस्थान में बाबा श्याम का भव्य मंदिर है, जो Khatu Shyam Birthday खाटू नगरी में बसा है। इस तरह वह खाटू श्याम के नाम से जाने जाते हैं। वहीं, युद्ध में पक्ष चुनने को कहा तो उन्होंने जवाब दिया “मैं हमेशा हारने वाले की तरफ रहूंगा।” इसलिए उन्हें ‘हारे का सहारा’ कहा जाता है।
ऐसा कहते हैं कि जिस स्थान पर बर्बरीक का शीश रखा गया। वहां आज भी खाटू श्याम जी विराजते हैं।




