Hanuman ji :हिंदू शास्त्रों में हनुमान जी को कलयुग का देवता बताया गया है। पौराणिक ग्रथों के अनुसार हनुमान जी को मां सीता से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था। कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में इस बात का वर्णन मिलता है कि कलयुग में हनुमान जी कहां निवास करेंगे। दरअसल हनुमान जी के निवास स्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं।
बजरंगबली रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। साथ ही वह आठ चिरंजीवियों में भी शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि रामायण के बाद श्री राम समेत अन्य सभी पृथ्वीलोक से प्रस्थान कर गए थे, लेकिन हनुमान जी को कलयुग की रक्षा का भार सौंपा गया, जिस कारण वह पृथ्वी पर ही रहे। इसलिए उन्हें कलयुग का जागृत देवता भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि कलयुग में हनुमान जी कहां वास करते हैं।
Hanuman ji:चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥
चारों युग में हनुमानजी Hanuman ji के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज भी हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं।
हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमान Hanuman ji की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे। आजो जानते हैं कि हनुमानजी कहां कहां उपस्थित है।
Hanuman Ji:जब जीवन में मिले ये संकेत, तो समझ लीजिए आप पर बनी हुई है हनुमान जी की कृपा
1. जहां रामकथा वहां हनुमानजी
”यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥”
अर्थात : कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं।
सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥
यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती।
2.चित्रकुट के घाट पर हनुमानजी
6वीं सदी के महान संत कवि तुलसीदासजी को हनुमानजी Hanuman ji की कृपा से ही रामजी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमानजी ने तुलसीदासजी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।
हनुमानजी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदासजी चित्रकूट घाट पर बैठ गए और सभी आने- जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आए तो हनुमानजी गाने लगे ‘चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।’ हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।’ इस प्रकार तुलसीदासजी को रामजी के दर्शन हुए।
3.गंधमादन पर्वत पर हनुमानजी Hanuman ji
हनुमानजी Hanuman ji कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।
गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।
4.श्रीलंका में हनुमान Hanuman ji
श्रीलंका के जंगलों में एक आदिवासी समूह से हनुमानजी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते हैं। सेतु के शोधानुसार श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीलाई समूह रहता है जोकि पूर्णत: बाहरी समाज से कटा हुआ है। इसका संबंध मातंग समाज से है जो आज भी अपने मूल रूप में है। उनका रहन-सहन और पहनावा भी अलग है। उनकी भाषा भी प्रचलित भाषा से अलग है। यह समूह पिदुरुथालागाला पर्वत की तलहटी में स्थित एक छोटे से गांव नुवारा में है।
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