भगवान राम और हनुमानजी के जीवन पर रचे गए महाकाव्य रामायण में हनुमानजी को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त बताया गया है। पुराणों में बजरंगबली को रुद्रावतार यानी भोले बाबा का 11वां अवतार बताया गया है। हनुमान जयंती को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। पहली जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है और दूसरी कार्तिक मास में दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर आपको बताते हैं कि बजरंगबली का जन्म कहां हुआ था और अभी कहां स्थित हैं ये स्थान…
ऐसे कहलाए अंजनि पुत्र
हनुमानजी की माता का नाम अंजना था। जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं। अंजना ब्रह्मा लोक की एक अप्सरा थीं, उन्हें एक ऋषि ने बंदरिया बनने का शाप दिया था। शाप के अनुसार जिस दिन अंजना को किसी से प्रेम हो जाएगा, उसी क्षण वह बंदरिया बन जाएगी और उनका पुत्र भगवान शिव का रूप होगा। अंजना को अपनी युवा अवस्था में केसरी से प्रेम हो गया और दोनों का विवाह हो गा।
ऐसे हुआ हनुमान जी का जन्म
उड़ते-उड़ते वह पक्षी देवी अंजना के आश्रम चला गया. यहां माता अंजना तपस्या कर रही थी. उस दौरान पक्षी के मुंह से खीर माता अंजना के हाथ में गिर गई. देवी ने इसे भोलेनाथ का प्रसाद मानकर ग्रहण कर लिया. इस प्रसाद के प्रभाव और ईश्वर की कृपा से माता अंजना ने शिव के अवतार बाल हनुमान को जन्म दिया. उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी.
जन्मस्थान का पहला मत
बजरंग बली के पिता केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। कपिस्थल कुरु साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था। हरियाणा का कैथल पहले करनाल जिले का भाग था। यह कैथल ही पहले कपिस्थल था। कुछ शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है कि कैथल ही हनुमानजी का जन्म स्थान है। यहां हनुमानजी का बहुत बड़ा मंदिर भी स्थित है।
जन्मस्थान का दूसरा मत
गुजरात स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। मान्यता के अनुसार यहीं भगवान राम व लक्ष्मण को शबरी ने बेर खिलाए थे। आज यह स्थल शबरी धाम के नाम से जाना जाता है। अंजनी पर्वत पर स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का भी जन्म हुआ था। कहा जाता है कि अंजना माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न यानी हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी। माता अंजना ने अंजनी गुफा में ही हनुमानजी को जन्म दिया था।
जन्मस्थान का तीसरा मत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिला के आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। आंजन गांव में ही माता अंजनी निवास करती थीं और इसी गांव की एक पहाड़ी पर स्थित गुफा में रामभक्त हनुमान का जन्म हुआ था। इसी विश्वास के साथ यहां की जनजाति भी बड़ी संख्या में भक्ति और श्रद्धा के साथ माता अंजना और भगवान महावीर की पूजा करते हैं।
जन्मस्थान का चौथा मत
पंपासरोवर अथवा पंपासर होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है। यहां स्थित एक पर्वत में एक गुफा भी है जिसे रामभक्तनी शबरी के नाम पर शबरी गुफा कहते हैं। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि का आश्रम था और कहते हैं कि इसी आश्रम में बजरंगबली जन्मे थे।