Guru Nanak Aarti:गुरु नानक आरती के फायदे
Guru Nanak Aarti:गुरु नानक देव जी की आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, Guru Nanak Aarti बल्कि यह मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने का एक शक्तिशाली साधन है। इस आरती के नियमित जाप से व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
यहां कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
- मन की शांति: गुरु नानक देव जी की आरती का जाप करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- आध्यात्मिक जागृति: यह आरती आध्यात्मिक जागृति को बढ़ावा देती है और व्यक्ति को अपने भीतर के ईश्वर से जोड़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: गुरु नानक देव जी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- ज्ञान प्राप्ति: गुरु नानक देव जी के उपदेशों से व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन के रहस्यों को समझने में मदद मिलती है।
- निरंतरता: यह आरती व्यक्ति को जीवन में निरंतरता और स्थिरता प्रदान करती है।
- भावनात्मक संतुलन: यह भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है और व्यक्ति को खुश रहने में सहायता करती है।
- समाज सेवा: गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों के अनुसार, यह आरती व्यक्ति को समाज सेवा के लिए प्रेरित करती है।
Guru Nanak Aarti:गुरु नानक देव जी की आरती का महत्व:
- सर्वसमावेशी: गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए समान रूप से प्रासंगिक हैं।
- सत्य और करुणा: Guru Nanak Aarti गुरु नानक देव जी सत्य और करुणा के प्रतीक हैं, और उनकी आरती इन मूल्यों को रेखांकित करती है।
- आत्मज्ञान: यह आरती आत्मज्ञान की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।
Guru Nanak Aarti:गुरु नानक देव जी की आरती का जाप कैसे करें:
- शुद्ध मन से: आरती का जाप करते समय मन को शुद्ध रखें और भगवान में विश्वास रखें।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का जाप करने से अधिक लाभ मिलता है।
- समूह में: परिवार या मित्रों के साथ मिलकर आरती का जाप करने से और भी अधिक आनंद मिलता है।
निष्कर्ष:
Guru Nanak Aarti:गुरु नानक देव जी की आरती एक शक्तिशाली साधन है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने में मदद करता है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक है।
Guru Nanak Aarti:गुरु नानक आरती
श्री गुरु नानक देव आरती ॥
धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
गगन मै थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती ॥
धूपु मल आनलो पवणु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती ॥
कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती ॥
अनहता सबद वाजंत भेरी रहाउ ॥
सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहस मूरति नना एक तोही ॥
सहस पद बिमल नन एक पद गंध बिनु
सहस तव गंध इव चलत मोही ॥
सभ महि जोति जोति है सोइ ॥
तिस कै चानणि सभ महि चानणु होइ ॥
गुर साखी जोति परगटु होइ ॥
जो तिसु भावै सु आरती होइ ॥
हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनो मोहि आही पिआसा ॥
कृपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नामि वासा ॥
गगन मै थालु, रवि चंदु दीपक बने,
तारका मंडल, जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवण चवरो करे,
सगल बनराइ फुलन्त जोति॥
कैसी आरती होइ॥
भवखंडना तेरी आरती॥
अनहत सबद बाजंत भेरी॥