- Version
- Download 112
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 8, 2023
- Last Updated November 8, 2023
Halasyeshashtakam
हलासीयषष्टक एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह स्तोत्र भगवान शिव के छह रूपों, या "हलासी" की प्रशंसा करता है।
स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव के पहले रूप, भव की प्रशंसा करता है:
नमस्ते भव भवानीनाथ नमस्ते। नमस्ते सर्वेश्वर नमस्ते॥
अर्थ:
हे भव, हे भवानीनाथ, आपको नमस्कार। हे सर्वेश्वर, आपको नमस्कार।
अगले श्लोकों में, स्तोत्र भगवान शिव के अन्य रूपों की प्रशंसा करता है। उदाहरण के लिए, एक श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को शम्भु के रूप में प्रशंसा करता है:
नमस्ते शम्भु शंभोवा नमस्ते। नमस्ते रुद्र रुद्रेश्वर नमस्ते॥
अर्थ:
हे शम्भु, हे शंभोवा, आपको नमस्कार। हे रुद्र, हे रुद्रेश्वर, आपको नमस्कार।
एक अन्य श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को कर्त्री के रूप में प्रशंसा करता है:
नमस्ते कर्त्री कर्माध्यक्ष नमस्ते। नमस्ते सृष्टिकर्ता सनातन नमस्ते॥
अर्थ:
हे कर्त्री, हे कर्मों के अध्यक्ष, आपको नमस्कार। हे सृष्टिकर्ता, हे सनातन, आपको नमस्कार।
स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है:
Halasyeshashtakam
नमस्ते षडहलासी शिवमूर्ति। मम सर्वबाधां हरतु सदैव।
अर्थ:
हे छह हलासी शिवमूर्ति, आपको नमस्कार। मेरी सभी बाधाओं को सदा हर लें।
हलासीयषष्टक एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।
हलासीयषष्टक के छह हलासी रूप:
- भव - सृष्टिकर्ता
- शम्भु - संहारकर्ता
- रुद्र - पालनहार
- कर्त्री - कर्मों के अध्यक्ष
- महेश्वर - महादेव
- त्रिपुरारी - त्रिपुरसुर का विनाशकर्ता
हृदयबोधनस्तोत्रम् Hridayabodhanastotram
Download