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  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

हनुमत् मंगलाष्टकम् प्रसादनजनयेय मंगलाष्टकम् (कवितेश्वर विश्वनाथ शर्माविरचितम्) एक संस्कृत मंगलाष्टक है जो हनुमान जी की स्तुति करता है। यह कवितेश्वर विश्वनाथ शर्मा द्वारा रचित है, जो एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि और विद्वान थे।

हनुमत् मंगलाष्टकम् के आठ श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में आठ शब्द हैं। प्रत्येक श्लोक हनुमान जी के एक विशेष गुण या विशेषता की स्तुति करता है।

हनुमत् मंगलाष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यह भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है और उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान करता है।

हनुमत् मंगलाष्टकम् के श्लोक इस प्रकार हैं:

  1. आनन्ददायी मंगलाष्टकम्, प्रसादजनयेय मंगलाष्टकम्। हनुमत् स्तुति मंगलाष्टकम्, कवितेश्वर विश्वनाथ शर्माविरचितम्।

  2. अंजनीपुत्र महाबलाय, लक्ष्मणप्राणदाताय। सर्वजन सुखदाताय, रामेष्टाय नमोस्तुते।।

  3. आदित्यवर्णाय हनुमानाय, वायुपुत्राय महाबलाय। अष्टसिद्धि दशमहाविद्या, प्रदाताय नमोस्तुते।।

  4. शत्रुदलविनाशकाय, रामायणकृताय। सर्वजनहिताय, हनुमताय नमोस्तुते।।

  5. लंकादाहकारकाय, रावणवधकारकाय। रामलक्ष्मणप्रीतिदाय, हनुमताय नमोस्तुते।।

  6. अश्वमेधविनाशकारकाय, रामायणकारणाय। सर्वजनहिताय, हनुमताय नमोस्तुते।।

  7. रामायणसाराय, सत्यव्रताय। सर्वजनहिताय, हनुमताय नमोस्तुते।।

  8. अष्टसिद्धिदशमहाविद्या, प्रदाताय। सर्वजनहिताय, हनुमताय नमोस्तुते।।

हनुमत् मंगलाष्टकम् का पाठ करने की विधि इस प्रकार है:

  1. किसी भी शुभ दिन और शुभ समय पर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें।
  2. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  3. हनुमान जी को धूप, दीप, फूल आदि अर्पित करें।
  4. हनुमान चालीसा या अन्य हनुमान जी के भजनों का पाठ करें।
  5. अब, आप हनुमत् मंगलाष्टकम् का पाठ करें।
  6. पाठ को 108 बार, 1008 बार या अधिक बार किया जा सकता है।
  7. पाठ के बाद, हनुमान जी की आरती करें।

हनुमत् मंगलाष्टकम् का पाठ करने के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:

  • साफ और शांत स्थान पर बैठें।
  • ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।
  • प्रत्येक श्लोक का स्पष्ट और ध्यान से उच्चारण करें।
  • हनुमान जी के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा रखें।

हनुमत् मंगलाष्टकम् एक शक्तिशाली मंगलाष्टक है जो भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वे सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं।


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