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- Create Date October 24, 2023
- Last Updated October 24, 2023
श्रीशिवमानसपूजा एक संस्कृत स्तोत्र है जिसे आठवीं शताब्दी के हिंदू दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा रचित किया गया था। यह स्तोत्र भगवान शिव की मानसिक पूजा का वर्णन करता है, जिसमें भक्त अपनी आंतरिक भावनाओं और विचारों के माध्यम से भगवान को अर्पित करता है।
स्तोत्र में पांच श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में एक अलग प्रकार की पूजा का वर्णन है।
प्रथम श्लोक
इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव के लिए एक आरामदायक आसन, एक ठंडा स्नान, और एक सुंदर वस्त्र की पेशकश करता है।
दूसरा श्लोक
इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को फूल, धूप, और दीपक की पेशकश करता है।
तीसरा श्लोक
इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को भोजन, पानी, और पान की पेशकश करता है।
चौथा श्लोक
इस श्लोक में, भक्त अपने सभी कार्यों को भगवान शिव को समर्पित करता है।
पांचवां श्लोक
इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव से अपने सभी पापों को क्षमा करने की प्रार्थना करता है।
श्रीशिवमानसपूजा एक शक्तिशाली उपाय है जो भक्तों को भगवान शिव के साथ एक गहरा संबंध बनाने में मदद कर सकता है। यह भक्तों को अपने भीतर के भगवान को खोजने और अपनी आंतरिक शक्ति और ज्ञान को जागृत करने में मदद कर सकता है।
श्रीशिवमानसपूजा का सारांश
- प्रथम श्लोक: भगवान शिव के लिए एक आरामदायक आसन, एक ठंडा स्नान, और एक सुंदर वस्त्र की पेशकश।
- दूसरा श्लोक: भगवान शिव को फूल, धूप, और दीपक की पेशकश।
- तीसरा श्लोक: भगवान शिव को भोजन, पानी, और पान की पेशकश।
- चौथा श्लोक: अपने सभी कार्यों को भगवान शिव को समर्पित करना।
- पांचवां श्लोक: भगवान शिव से अपने सभी पापों को क्षमा करने की प्रार्थना करना।
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