- Version
- Download 969
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date October 8, 2023
- Last Updated October 8, 2023
संसार मोहन गणेश कवच एक संस्कृत कवच है जो भगवान गणेश की रक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाता है। यह कवच ब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खण्ड में वर्णित है।
संसार मोहन गणेश कवच का पाठ करने का तरीका निम्नलिखित है:
- सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठें और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- फिर, अपने हाथों को जोड़ें और भगवान गणेश को प्रणाम करें।
- अब, कवच के श्लोकों का पाठ करें।
- आप कवच का पाठ 108, 1008 या किसी भी अन्य संख्या में कर सकते हैं।
- अंत में, भगवान गणेश को धन्यवाद दें।
संसार मोहन गणेश कवच के लाभ निम्नलिखित हैं:
- भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
- सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- कार्यों में सफलता मिलती है।
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- शत्रुओं से रक्षा मिलती है।
- धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
संसार मोहन गणेश कवच एक बहुत ही शक्तिशाली कवच है जो भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्रदान कर सकता है। यह कवच सभी भक्तों के लिए पढ़ने योग्य है।
संसार मोहन गणेश कवच के श्लोक इस प्रकार हैं:
श्लोक 1:
ॐ नमः गणपतये सर्वसिद्धिप्रदायकाय।
अर्थ: हे गणेश! हे सर्वसिद्धिप्रदायक! आपको नमस्कार है।
श्लोक 2:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
अर्थ: हे वक्रतुण्ड! हे महाकाय! हे सूर्यकोटि के समान तेजस्वी!
श्लोक 3:
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
अर्थ: हे देव! कृपया सभी कार्यों में मुझे विघ्नों से मुक्त रखें।
श्लोक 4:
यः पठेत् कवचं पुण्यं संसारमोहनं शुभम्।
अर्थ: जो कोई भी यह पवित्र और शुभ संसारमोहन कवच का पाठ करता है,
श्लोक 5:
सर्वसिद्धिमवाप्नोति नात्र कार्ये संशयः।
अर्थ: वह सभी सिद्धियों को प्राप्त करता है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
श्लोक 6:
सर्वबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसमन्वितः।
अर्थ: वह सभी बाधाओं से मुक्त हो जाता है और धन-धान्य से संपन्न हो जाता है।
श्लोक 7:
सुखसम्पन्नरसोन्नतः सर्वलोकेषु पूज्यते।
अर्थ: वह सुख से संपन्न और सभी लोकों में पूज्य होता है।
श्लोक 8:
अष्टसिद्धिश्च लभते षट्कर्मसु सिद्धिं लभेत्।
अर्थ: वह आठ सिद्धियों को प्राप्त करता है और छह कर्मों में सिद्धि प्राप्त करता है।
श्लोक 9:
विघ्नराजेश्वरेण सदैव रक्षितो भवेत्।
अर्थ: वह हमेशा विघ्नराजेश्वर द्वारा रक्षित रहता है।
श्लोक 10:
इति संसारमोहनं कवचं समाप्तं।
अर्थ: इस प्रकार संसारमोहन कवच समाप्त होता है।
Download