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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 24 श्लोकों का है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण के एक अलग गुण या विशेषता की प्रशंसा की जाती है।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् की रचना 15वीं शताब्दी में हुई थी, और इसका श्रेय संत वल्लभाचार्य को दिया जाता है। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य शक्तियों और गुणों का वर्णन करता है।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् के श्लोक इस प्रकार हैं:

  1. जय श्री कृष्ण! आप अद्वितीय हैं। आप सभी गुणों के भंडार हैं। आप सभी के लिए आदर्श हैं।

  2. आप सर्वव्यापी हैं, आप हर जगह मौजूद हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं, आप सब कुछ कर सकते हैं।

  3. आप सर्वज्ञ हैं, आप सब कुछ जानते हैं। आप सर्वप्रेमी हैं, आप सभी को प्यार करते हैं।

  4. आप सर्वहितकारी हैं, आप सभी की भलाई चाहते हैं। आप सर्वकल्याणकारी हैं, आप सभी को कल्याण प्रदान करते हैं।

  5. आप सर्वगुणसंपन्न हैं, आप सभी गुणों से परिपूर्ण हैं। आप सर्वपूज्य हैं, आप सभी के द्वारा पूजे जाते हैं।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् का पाठ करने से कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् का पाठ करने के कई तरीके हैं। इसे ध्यान में बैठकर या मंत्र की तरह दोहराया जा सकता है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को कई लाभ प्रदान कर सकता है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए पढ़ने के लिए उपयुक्त है।

श्री श्रीशगुणादर्शनस्तोत्रम् का अर्थ निम्नलिखित है:

  • श्लोक 1: भगवान श्रीकृष्ण अद्वितीय हैं। वे सभी गुणों के भंडार हैं। वे सभी के लिए आदर्श हैं।
  • श्लोक 2: भगवान श्रीकृष्ण सर्वव्यापी हैं। वे हर जगह मौजूद हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं। वे सब कुछ कर सकते हैं।
  • श्लोक 3: भगवान श्रीकृष्ण सर्वज्ञ हैं। वे सब कुछ जानते हैं। वे सर्वप्रेमी हैं। वे सभी को प्यार करते हैं।
  • श्लोक 4: भगवान श्रीकृष्ण सर्वहितकारी हैं। वे सभी की भलाई चाहते हैं। वे सर्वकल्याणकारी हैं। वे सभी को कल्याण प्रदान करते हैं।
  • श्लोक 5: भगवान श्रीकृष्ण सर्वगुणसंपन्न हैं। वे सभी गुणों से परिपूर्ण हैं। वे सर्वपूज्य हैं। वे सभी के द्वारा पूजे जाते हैं।

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