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  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated October 9, 2023

श्रीसूक्त (ऋग्वेद) एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है।

स्तोत्र के अनुसार, देवी लक्ष्मी समस्त सृष्टि की स्वामिनी हैं। वे सभी सुखों और समृद्धि की देवी हैं।

स्तोत्र में, देवी लक्ष्मी को विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है, जो उनकी विभिन्न शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें "श्री" कहा जाता है, जो सौभाग्य की देवी हैं। उन्हें "पद्मोद्भवा" कहा जाता है, जो कमल से उत्पन्न हुई हैं। और उन्हें "विश्वेश्वरी" कहा जाता है, जो सभी लोकों की स्वामिनी हैं।

श्रीसूक्त एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जा सकती है। यह स्तोत्र धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फायदेमंद है।

स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

श्रीसूक्त

अथ श्रीसूक्त

ऋग्वेद, 7.91

श्री कृष्ण उवाच

**हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥ 1॥**

अर्थ:

हे जातवेदो, हे अग्नि, हे प्रजापति, मुझे स्वर्ण के समान रंग वाली, सुंदर, स्वर्ण और चांदी के आभूषणों से सुशोभित, चंद्रमा के समान सुंदर, और स्वर्णमय लक्ष्मी को प्रदान करें।

**तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।

यशसा पूरुषं दीप्सयन्तीं यशसा पूष्णुते॥ 2॥**

अर्थ:

हे जातवेदो, हे अग्नि, हे प्रजापति, मुझे उस लक्ष्मी को प्रदान करें जो मेरे पास से कभी न जाए, जो पुरुषों को यश से भर दे, और जो स्वयं यश से भरी हो।

**या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 3॥**

अर्थ:

जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मी रूप में स्थित हैं, उनको मैं नमन करता हूं, उनको मैं नमन करता हूं, उनको मैं नमन करता हूं, बार-बार नमन करता हूं।

स्तोत्र का पाठ करने की विधि:

इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए, सबसे पहले एक साफ और शांत स्थान चुनें। फिर, एक आसन पर बैठें और अपने सामने देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें। अब, हाथ में एक माला लें और स्तोत्र का पाठ शुरू करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी लक्ष्मी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।

स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय शुक्रवार है। आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सुबह जल्दी या शाम को सूर्यास्त के समय करना सबसे अच्छा माना जाता है।

स्तोत्र का पाठ करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ हो जाएं। फिर, साफ कपड़े पहनें और एक पवित्र स्थान पर जाएं। वहां, एक आसन पर बैठें और अपने सामने देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें। अब, अपने हाथों में एक माला लें और स्तोत्र का पाठ शुरू करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी लक्ष्मी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।

स्तोत्र का पाठ करने के बाद, देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को प्रसाद अर्पित करें। आप फूल, धूप, दीप, फल और मिठाई आदि अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद, देवी लक्ष्मी की आरती करें।

स्तोत्र का पाठ करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फायदेमंद है।


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