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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated November 10, 2023
श्रीविष्णुस्तुतिः
**शान्तकाराय भुजंगशयनाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
पद्मनाभाय सुरपूज्याय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वव्यापाराय सर्वाधाराय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वहिताय सर्वलोकनाथाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वलोकैकनायकाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वदुःखापहारकाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वशत्रुविनाशनाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वपापहरणाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वज्ञाय सर्वशक्तिमानाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वेश्वराय सर्वभूतात्मा नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वत्र सर्वदा सर्वरूपेण नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥
सर्वलोकनाथाय नमो नमस्ते॥
shreevishnustutih vrtrakrta
अर्थ
शांतस्वरूप, सर्प शय्या पर विराजमान,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
पद्मनाभ, देवताओं द्वारा पूजित,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्वव्यापक, सर्व आधार,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्वहितकारी, सर्व लोकों के स्वामी,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्व लोकों के एकमात्र नेता,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सभी दुखों का हरण करने वाले,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सभी शत्रुओं का नाश करने वाले,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सभी पापों का हरण करने वाले,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्वेश्वर, सर्वभूतात्मा,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्वत्र, सर्वदा, सर्व रूपों में,हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार।
सर्व लोकों के स्वामी, आपको नमस्कार।
यह स्तुति श्रीवृन्दावनदास द्वारा रचित है। यह स्तुति भगवान विष्णु के विभिन्न गुणों और विशेषताओं की स्तुति करती है। यह स्तुति भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति प्रेम और भक्ति विकसित करने में मदद करती है।
इस स्तुति को पढ़ने या सुनने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- भक्ति भाव का विकास होता है।
- मन शांत होता है।
- जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
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