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  • Create Date October 12, 2023
  • Last Updated October 12, 2023

श्री राम प्रातः स्मरणम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान राम के प्रति भक्ति और समर्पण को व्यक्त करता है। यह स्तोत्र प्रातः काल प्रार्थना के लिए उपयोग किया जाता है।

श्री राम प्रातः स्मरणम् के पाँच श्लोक हैं, जो निम्नलिखित हैं:

१. प्रातर्भजामि रघुनाथकरारविन्दं

रक्षोगणाय भयदं वरदं निजेभ्यः। यद्राजसंसदि विभज्य महेशचापं सीताकरग्रहणमङ्गलमाप सद्यः ॥

अर्थ:

मैं प्रातः काल भगवान राम के हाथों की कमल को भजता हूँ, जो राक्षसों के लिए भयंकर और अपने भक्तों के लिए वरदान देने वाले हैं। जिसने राजसभा में शिव धनुष को तोड़कर सीता के करग्रहण का मंगलमय अवसर प्राप्त किया, उस भगवान राम का मैं स्मरण करता हूँ।

२. प्रातर्नमामि रघुनाथकरारविन्दं

वज्राङ्कुशादिशुभरेखि सुखावहं मे। योगीन्द्रमानसमधुव्रतसेव्यमानं शापापहं सपदि गौतमधर्मपत्न्याः ॥

अर्थ:

मैं प्रातः काल भगवान राम के हाथों की कमल को प्रणाम करता हूँ, जो वज्र, अंकुश आदि शुभ रेखाओं से सुशोभित और मुझे सुख देने वाले हैं। जिसे योगीराज और अमृतत्व की प्राप्ति के लिए तप करने वाले दत्तात्रेय ने अपने मन में मधुर व्रत के रूप में धारण किया था, उस शाप से मुक्त करने वाले भगवान राम का मैं स्मरण करता हूँ।

३. प्रातर्वदामि वचसा रघुनाथनाम

वाग्दोषहारि सकलं शमलं निहन्ति। यत्पार्वती स्वपतिना सह भोक्तुकामा प्रीत्या सहस्रहरिनामसमं जजाप ॥

अर्थ:

मैं प्रातः काल भगवान राम का नाम वचन से बोलता हूँ, जो वाणी के दोषों को दूर करने वाला और सभी प्रकार के संकटों को नष्ट करने वाला है। जिस नाम का जप पार्वती ने अपने पति शिव के साथ भोग करने की इच्छा से सहर्ष किया था, वह भगवान राम का नाम है, जो हजारों हरि नामों के समान है।

४. प्रातः श्रये श्रुतिनुतां रघुनाथमूर्तिं

नीलाम्बुजोत्पलसितेतररत्ननीलाम्। आमुक्तमौक्तिकविशेषविभूषणाढ्यां ध्येयां समस्तमुनिभिर्जनमुक्तिहेतुम् ॥

अर्थ:

मैं प्रातः काल भगवान राम के रूप की वंदना करता हूँ, जो श्रुति द्वारा वंदित हैं, नीले कमल और कमल के समान अन्य रत्नों से सुशोभित हैं। जिनके वस्त्र मोती से बने हैं, जो विशेष प्रकार के आभूषणों से सुसज्जित हैं, और जो समस्त मुनियों द्वारा ध्यान का विषय और जनमुक्ति का कारण हैं, उन भगवान राम का मैं स्मरण करता हूँ।

५. यः श्लोकपञ्चकमिदं प्रयतः पठेद्धि

नित्यं प्रभातसमये पुरुषः प्रबुद्धः। सर्वपापविनिर्मुक्तो भवेत् स नरोत्तमः**

अर्थ:

जो पुरुष इस पाँच श्लोकों को प्रातः काल प्रभु की प्रार्थना के रूप में पढ़ता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उत्तम पुरुष बन जाता है।

श्री राम प्रातः स्मरणम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र प्रातः काल प्रार्थना के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।


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