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- Create Date November 8, 2023
- Last Updated November 8, 2023
श्रीरङ्गगद्यम् एक संस्कृत गद्य काव्य है, जिसका रचनाकार क्षेमेन्द्र है। यह काव्य १३वीं शताब्दी में लिखा गया था। इस काव्य में श्रीरङ्गम् तीर्थक्षेत्र का वर्णन किया गया है।
श्रीरङ्गगद्यम् में कुल १०० अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय में श्रीरङ्गम् के एक विशेष पहलू का वर्णन किया गया है। उदाहरण के लिए, पहले अध्याय में श्रीरङ्गम् के मंदिरों का वर्णन किया गया है, दूसरे अध्याय में श्रीरङ्गम् के वन-उद्यानों का वर्णन किया गया है, और तीसरे अध्याय में श्रीरङ्गम् के तीर्थों का वर्णन किया गया है।
Srirangagadyam
श्रीरङ्गगद्यम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ श्रीरङ्गम् तीर्थक्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह ग्रन्थ भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक का काम करता है।
श्रीरङ्गगद्यम् के कुछ प्रमुख विषय हैं:
- श्रीरङ्गम् के मंदिर
- श्रीरङ्गम् के वन-उद्यान
- श्रीरङ्गम् के तीर्थ
- श्रीरङ्गम् का इतिहास
- श्रीरङ्गम् का पौराणिक महत्व
श्रीरङ्गगद्यम् एक सुंदर और साहित्यिक रूप से उत्कृष्ट काव्य है। यह काव्य श्रीरङ्गम् तीर्थक्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ एक साहित्यिक कृति के रूप में भी महत्त्वपूर्ण है।