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  • Create Date November 19, 2023
  • Last Updated November 19, 2023

Shri Mahadevstuti: 2

श्री महादेवस्तुति:

श्री गणेशाय नमः

श्री शिवाय नमः

ओं नमः शिवाय

हे महादेव, हे शंकर, हे त्रिलोकनाथ, हे जगदीश्वर, हे आदिदेव, हे नमस्ते!

हे संहारकर्ता, हे सृष्टिकर्ता, हे पालनकर्ता, हे तीनों लोकों के स्वामी, हे नमस्ते!

हे अविनाशी, हे निराकार, हे निर्गुण, हे निर्विकार, हे नमस्ते!

हे ज्योतिर्मय, हे कल्याणकारी, हे सर्वशक्तिमान, हे सर्वज्ञ, हे नमस्ते!

हे भोलेनाथ, हे दयालु, हे करुणामय, हे परमपिता, हे नमस्ते!

हे नीलकंठ, हे गंगाधर, हे त्रिशूलधारी, हे चंद्रशेखर, हे नमस्ते!

हे नटराज, हे अर्धनारीश्वर, हे विश्वनाथ, हे सोमनाथ, हे नमस्ते!

हे भस्मधारी, हे भक्तवत्सल, हे सर्वभक्तों के आश्रय, हे नमस्ते!

हे शूलपाणी, हे रुद्र, हे पिनाकी, हे वैश्वानर, हे नमस्ते!

हे शरभारुढ़, हे त्रिपुरारी, हे महादेव, हे जगदीश्वर, हे नमस्ते!

हे मेरे इष्टदेव, हे मेरे आराध्य, हे मेरे जीवन के आधार, हे नमस्ते!

Shri Mahadevstuti: 2

हे महादेव, मैं आपका अनन्य भक्त हूँ। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। आप मेरे सभी पापों को धो दें और मुझे मोक्ष प्रदान करें।

हे महादेव, आप मेरे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करें। आप मेरे सभी कष्टों और दुखों को दूर करें।

हे महादेव, आप मेरे मार्गदर्शन करें और मुझे सही मार्ग पर चलने में मदद करें। आप मुझे अपने ज्ञान और शक्ति से आशीर्वाद दें।

हे महादेव, मैं आपके चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करता हूँ।

ओं नमः शिवाय

श्री गणेशाय नमः

श्री शिवाय नमः

यह स्तुति भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है। इसमें भगवान शिव को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे कि महादेव, शंकर, त्रिलोकनाथ, जगदीश्वर, आदिदेव, अविनाशी, निराकार, निर्गुण, निर्विकार, ज्योतिर्मय, कल्याणकारी, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, भोलेनाथ, दयालु, करुणामय, परमपिता, नीलकंठ, गंगाधर, त्रिशूलधारी, चंद्रशेखर, नटराज, अर्धनारीश्वर, विश्वनाथ, सोमनाथ, भस्मधारी, भक्तवत्सल, शूलपाणी, रुद्र, पिनाकी, वैश्वानर, शरभारुढ़, त्रिपुरारी।

भक्त भगवान शिव से अपने पापों को धोने, मोक्ष प्रदान करने, सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करने, कष्टों और दुखों को दूर करने, मार्गदर्शन करने, और ज्ञान और शक्ति से आशीर्वाद देने की प्रार्थना करते हैं।

यह स्तुति नियमित रूप से करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें सुख, समृद्धि, और शांति मिलती है।

श्रीरामनाथस्तुतिः Shriramnathstutih


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