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- Create Date November 6, 2023
- Last Updated November 6, 2023
Srimadhyarjuneshashtakam
श्रीमध्यर्जुनेशष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के भैरव रूप, मध्यर्जुनेश की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 8 छंदों में लिखा गया है, और प्रत्येक छंद में मध्यर्जुनेश के एक विशेष गुण या विशेषता का वर्णन किया गया है।
स्तोत्र इस प्रकार है:
अयोध्या नगरी मध्य स्थित
महादेव सुंदर मन्दिर
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
भगवान शिव का रूप है वह
भैरव का रूप है वह
भक्तों के रक्षक हैं वह
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
शत्रुओं का नाश करने वाला
भक्तों को सुख देने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
अज्ञान का नाश करने वाला
ज्ञान का प्रकाश देने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
मोह का नाश करने वाला
प्रेम का बीज बोने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
महादेव सुंदर मन्दिर
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
भगवान शिव का रूप है वह
भैरव का रूप है वह
भक्तों के रक्षक हैं वह
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
शत्रुओं का नाश करने वाला
भक्तों को सुख देने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
अज्ञान का नाश करने वाला
ज्ञान का प्रकाश देने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
मोह का नाश करने वाला
प्रेम का बीज बोने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
पापों को नष्ट करने वाला
पुण्यों को बढ़ाने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
ज्ञान और भक्ति का दाता
आध्यात्मिक मार्ग का प्रदर्शक
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
सदा शिव स्वरूप है वह
भक्तों के कष्टों को हरने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
पुण्यों को बढ़ाने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
ज्ञान और भक्ति का दाता
आध्यात्मिक मार्ग का प्रदर्शक
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
सदा शिव स्वरूप है वह
भक्तों के कष्टों को हरने वाला
मध्यर्जुनेश नाम से प्रसिद्ध
भक्तों के दुखों को हरने वाला
Srimadhyarjuneshashtakam
अर्थ:
पहला छंद:
अयोध्या नगरी में स्थित भगवान शिव का एक सुंदर मंदिर है। इस मंदिर में मध्यर्जुनेश नामक एक भैरव विराजमान हैं। वह भक्तों के दुखों को हरने वाले हैं।
दूसरा छंद:
मध्यर्जुनेश भगवान शिव का एक भैरव रूप हैं। वे भक्तों के रक्षक हैं।
तीसरा छंद:
मध्यर्जुनेश शत्रुओं का नाश करने वाले और भक्तों को सुख देने वाले हैं।
चौथा छंद:
मध्यर्जुनेश अज्ञान का नाश करने वाले और ज्ञान का प्रकाश देने वाले हैं।
पांचवां छंद:
मध्यर्जुनेश मोह का नाश करने वाले और प्रेम का बीज बोने वाले हैं।
छठा छंद:
मध्यर्जुनेश पापों को नष्ट करने वाले और पुण्यों को बढ़ाने वाले हैं।
सातवां छंद:
मध्यर्जुनेश ज्ञान और भक्ति के दाता हैं। वे आध्यात्मिक मार्ग का प्रदर्शक हैं।
आठवां छंद:
मध्यर्जुनेश सदा शिव के स्वरूप हैं। वे भक्तों के कष्टों को हरने वाले हैं।
श्रीमध्यर्जुनेशष्टकम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को मध्यर्जुनेश की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को मध्यर्जुनेश के दिव्य गुणों और शक्तियों को याद करने और उनकी भक्ति में प्रेरित करने में मदद करता है।
श्रीमहाकालमङ्गलम् Srimahakalamangalam
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