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- Create Date November 7, 2023
- Last Updated November 7, 2023
श्रीमद्भागवतम् के दसवें स्कन्द के 10वें अध्याय को श्रीमद्भागवतम् की सौम्य महात्म्य कहा जाता है। इस अध्याय में, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को भक्ति की महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने कहा कि भक्ति ही एकमात्र मार्ग है जो मोक्ष प्राप्त करने के लिए है।
इस अध्याय में, भगवान कृष्ण ने भक्ति के कई प्रकारों का वर्णन किया है। उन्होंने कहा कि भक्ति भाव, कर्म, ज्ञान और ध्यान के माध्यम से की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भक्ति के कई स्तर हैं, और प्रत्येक भक्त अपने स्तर के अनुसार भक्ति कर सकता है।
shreemadbhaagavatam - sau - mahaatmyam
भगवान कृष्ण ने भक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति करने वाला व्यक्ति सभी दुखों से मुक्त हो जाता है। वह भगवान की कृपा प्राप्त करता है, और वह मोक्ष प्राप्त करता है।
श्रीमद्भागवतम् की सौम्य महात्म्य एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो भक्ति की महिमा का वर्णन करता है। यह अध्याय सभी भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक है।
श्रीमद्भागवतम् की सौम्य महात्म्य के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:
- भक्ति ही एकमात्र मार्ग है जो मोक्ष प्राप्त करने के लिए है।
- भक्ति के कई प्रकार हैं, जिनमें भाव, कर्म, ज्ञान और ध्यान शामिल हैं।
- भक्ति के कई स्तर हैं, और प्रत्येक भक्त अपने स्तर के अनुसार भक्ति कर सकता है।
- भक्ति करने वाला व्यक्ति सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।
- भक्ति करने वाला व्यक्ति भगवान की कृपा प्राप्त करता है।
- भक्ति करने वाला व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है।
यदि आप भगवान कृष्ण की भक्ति में हैं, तो श्रीमद्भागवतम् की सौम्य महात्म्य को पढ़ना एक अच्छा तरीका है। यह अध्याय आपको भक्ति की महिमा और महत्व को समझने में मदद करेगा।
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