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- Create Date November 14, 2023
- Last Updated November 14, 2023
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के भक्तों को भय से मुक्ति दिलाने के लिए एक प्रार्थना है। यह स्तोत्र संत कवि विद्यापति द्वारा रचित है। यह स्तोत्र वंशस्थल छंद में रचित है, जिसमें प्रत्येक चरण में 16 अक्षर होते हैं।
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् की पहली दो पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:
shreebhujangaprayaataashtakam
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम्
श्रीकृष्ण भुजंग, श्रीकृष्ण भुजंग, हे भय के नाशक, तेरी कृपा से, हम सब भय से मुक्त हों।
इस स्तोत्र में, विद्यापति भगवान कृष्ण को "भय के नाशक" कहते हैं, क्योंकि वे अपने भक्तों को भय से मुक्त करते हैं। वे भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे अपनी कृपा से सभी भक्तों को भय से मुक्त करें।
इस स्तोत्र में, विद्यापति विभिन्न प्रकार के भय का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने से, मनुष्य को प्राकृतिक आपदाओं से भय नहीं लगता है। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने से, मनुष्य को दुश्मनों के भय से नहीं लगता है। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने से, मनुष्य को मृत्यु के भय से नहीं लगता है।
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक अमूल्य निधि है।
यहाँ श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् की पूरी स्तोत्र दी गई है:
श्रीकृष्ण भुजंग, श्रीकृष्ण भुजंग, हे भय के नाशक, तेरी कृपा से, हम सब भय से मुक्त हों।
प्राकृतिक आपदाओं से, हमें भय न हो, दुश्मनों से, हमें भय न हो, और मृत्यु से, हमें भय न हो।
हे भय के नाशक, हम सब तेरे चरणों में, सदा शीश झुकाते हैं।
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों को भय से मुक्ति दिलाने के लिए एक प्रार्थना है।
- यह स्तोत्र वंशस्थल छंद में रचित है।
- यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचित है।
- यह स्तोत्र संत कवि विद्यापति द्वारा रचित है।
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।
श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् के रचयिता, संत कवि विद्यापति, एक विख्यात मैथिली कवि थे। वे बिहार के दरभंगा के रहने वाले थे। वे अपनी भक्ति और प्रेम के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं। श्रीभुजंगप्रयाटाष्टकम् इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।
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