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  • Create Date November 2, 2023
  • Last Updated November 2, 2023

Sri Panchakshararthastavah

श्री पंचाक्षरार्थस्तव एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र पंचाक्षर मंत्र "नमः शिवाय" के अर्थ को समझाता है।

स्तोत्र के पांच श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में एक अक्षर होता है। प्रत्येक श्लोक में, अक्षर का अर्थ और भगवान शिव के उस गुण के साथ इसका संबंध बताया गया है।

श्लोक 1

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय:

अर्थ:

जो नागराज को अपने गले में धारण करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो भस्म का लेप लगाते हैं, जो महान देव हैं, जो नित्य हैं, जो शुद्ध हैं, जो दिगंबर हैं, उन नकाराकार शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

श्लोक 2

मन्दकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नम: शिवाय:

अर्थ:

जो गंगाजल और चंदन से स्नान करते हैं, जिनकी पूजा नंदी, प्रमथनाथ और अन्य देवताओं द्वारा की जाती है, जो मन्दार पुष्पों और अन्य फूलों से सुशोभित हैं, उन मकाराकार शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

श्लोक 3

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:

अर्थ:

जो पार्वती के कमल के मुख को प्रसन्न करने वाले हैं, जो सूर्य के समान हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले हैं, जो नीलकंठ हैं, जो वृषभ की ध्वजा वाले हैं, उन शिकाराकार शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

श्लोक 4

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।

चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:

अर्थ:

जिन्हें वशिष्ठ, कुभोदव और गौतम आदि ऋषियों ने पूजा की है, जिनके मुख में चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के समान तीन नेत्र हैं, उन वकाराकार शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

श्लोक 5

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:

अर्थ:

जो यज्ञ के रूप में हैं, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक है, जो सनातन हैं, जो दिव्य देव हैं, जो दिगंबर हैं, उन यकाराकार शिव को मैं नमस्कार करता हूं।

स्तोत्र का अंतिम श्लोक

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते:

अर्थ:

जो इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का शिव के समीप पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और शिव के साथ आनंदित होता है।

श्री पंचाक्षरार्थस्तव एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव के करीब आने में मदद करता है। यह स्तोत्र ध्यान और साधना के लिए भी उपयोग किया जाता है।


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