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  • Create Date October 10, 2023
  • Last Updated October 10, 2023

श्री जगदम्बास्तुति 2 एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी दुर्गा की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक देवी के एक अलग गुण या रूप का वर्णन करता है।

श्री जगदम्बास्तुति 2 का पहला श्लोक इस प्रकार है:

सर्वमंगलमांगल्ये, शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी, नारायणि नमोऽस्तु ते।

इस श्लोक में, भक्त देवी दुर्गा को नमस्कार करते हैं और उन्हें "सर्वमंगलमंगल्ये" कहते हैं, जिसका अर्थ है "सभी मंगलों की देवी"।

श्री जगदम्बास्तुति 2 के 10 श्लोकों का अर्थ है:

  1. हे देवी दुर्गा, आपको नमस्कार। आप सभी मंगलों की देवी हैं।
  2. आप शिव की पत्नी हैं, और आप सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
  3. आप शरण देने वाली हैं, और आप तीन नेत्रों वाली हैं।
  4. आप गौरी हैं, और आप नारायण की पत्नी हैं।
  5. आप ब्रह्मांड की कर्ता, धर्ता और हर्ता हैं।
  6. आप सर्वशक्तिमान हैं, और आपके पास सभी शक्तियां हैं।
  7. आप करुणा और दया के सागर हैं।
  8. आप भक्तों के रक्षक हैं।
  9. आप ज्ञान और विवेक की दाता हैं।
  10. आप प्रेम और सौंदर्य की देवी हैं।

श्री जगदम्बास्तुति 2 एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में देवी दुर्गा के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन देवी दुर्गा की महिमा और गुणों को भी दर्शाता है।

श्री जगदम्बास्तुति 2 के 10 श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

  1. हे देवी दुर्गा, आपको नमस्कार। आप सभी मंगलों की देवी हैं।
  2. आप शिव की पत्नी हैं, और आप सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
  3. आप शरण देने वाली हैं, और आप तीन नेत्रों वाली हैं।
  4. आप गौरी हैं, और आप नारायण की पत्नी हैं।
  5. आप ब्रह्मांड की कर्ता, धर्ता और हर्ता हैं।
  6. आप सर्वशक्तिमान हैं, और आपके पास सभी शक्तियां हैं।
  7. आप करुणा और दया के सागर हैं।
  8. आप भक्तों के रक्षक हैं।
  9. आप ज्ञान और विवेक की दाता हैं।
  10. आप प्रेम और सौंदर्य की देवी हैं।

श्री जगदम्बास्तुति 2 एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान पढ़ा जाता है। यह भजन भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

यहां श्री जगदम्बास्तुति 2 का एक उदाहरण है:

सर्वमंगलमांगल्ये, शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी, नारायणि नमोऽस्तु ते।

इस श्लोक का अर्थ है:

हे देवी दुर्गा, आपको नमस्कार। आप सभी मंगलों की देवी हैं।

यह श्लोक देवी दुर्गा की महिमा और भव्यता को दर्शाता है।


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