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- Create Date November 14, 2023
- Last Updated November 14, 2023
Shrichidambareshstutih
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम्
अर्थ:
हे चिदम्बरेश्वर! आप ही सृष्टि, पालन और संहार के कारण हैं। आप ही समस्त ब्रह्मांड के स्वामी हैं। आप ही सभी जीवों के उद्धारकर्ता हैं।
आप ही त्रिगुणात्म, त्रिलोचन, त्रिशूलधारी हैं। आप ही सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी हैं। आप ही परम सत्य हैं, परम आनंद हैं, परम शांति हैं।
आप ही भक्तों के सर्वस्व हैं। जो भक्त आप में श्रद्धा और भक्ति रखता है, उसे आपकी कृपा प्राप्त होती है।
आपकी महिमा अपरंपार है। आप अनादि, अनंत और अद्वितीय हैं।
हे चिदम्बरेश्वर! कृपा करके हमें अपनी कृपा से आच्छादित करें। हमें अपने मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें। हमें सभी कष्टों से मुक्ति दिलाएं और हमें सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करें।
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
Shrichidambareshstutih
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् के पाठ का लाभ:
- यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाता है।
- यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र भक्तों के सभी कष्टों को दूर करता है और उन्हें सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् का पाठ कैसे करें:
- इस स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन, किसी भी समय किया जा सकता है।
- इस स्तोत्र का पाठ करते समय, भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
- इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले, भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए।
- इस स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान शिव को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए।
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् का पाठ करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् के रचयिता:
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् के रचयिता अज्ञात हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
श्री चिदम्बरेश्वर स्तवनम् के 5 स्तव:
- प्रथम स्तव: चिदानंदस्वरूपे
- द्वितीय स्तव: त्रिगुणात्मस्वरूपे
- तृतीय स्तव: त्रिशूलधारीस्वरूपे
- चतुर्थ स्तव: सर्वशक्तिमानस्वरूपे
- पंचम स्तव: भक्तवत्सलस्वरूपे
प्रथम स्तव में, स्तुतिकर्ता भगवान शिव को चिदानंदस्वरूप बताते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही परम आनंद और शांति के स्वरूप हैं।
द्वितीय स्तव में, स्तुतिकर्ता भगवान शिव को त्रिगुणात्म बताते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही सत्व, रज और तम के स्वरूप हैं।
तृतीय स्तव में, स्तुतिकर्ता भगवान शिव को त्रिशूलधारी बताते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव का त्रिशूल सभी बाधाओं को दूर करने वाला है।
चतुर्थ स्तव में, स्तुतिकर्ता भगवान शिव को सर्वशक्तिमान बताते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही सर्वशक्तिमान हैं और उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
पंचम स्तव में, स्तुतिकर्ता भगवान शिव को भक्तवत्सल बताते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही सभी भक्तों के प्रिय हैं।
श्रीताण्डवेश्वरस्तोत्रम् Sritandaveshvarstotram
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