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- Create Date October 27, 2023
- Last Updated October 27, 2023
श्रीगोकुलेशयनाशतकम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के गोकुल में निवास करने के समय के बारे में है। यह स्तोत्र १६वीं सदी के भक्ति कवि सूरदास द्वारा रचित है। स्तोत्र में, सूरदास भगवान कृष्ण की बालसुलभ हरकतों और गोकुल में उनके समय के आनंदमय क्षणों का वर्णन करते हैं।
श्रीगोकुलेशयनाशतकम् का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:
प्रथम श्लोक
गोकुल में श्रीकृष्ण का निवास, यह है सबके लिए सुखदायक, यहाँ कृष्ण बाललीलाएँ करते हैं, यहाँ कृष्ण गोपियों के साथ प्रेम करते हैं।
द्वितीय श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, गोपियाँ आनंद से भर जाती हैं, वे कृष्ण की बाललीलाओं में मस्त रहती हैं, वे कृष्ण के प्रेम में डूब जाती हैं।
तृतीय श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, ग्वाल बाल भी आनंदित होते हैं, वे कृष्ण के साथ खेलते हैं, वे कृष्ण के साथ गाते हैं और नृत्य करते हैं।
चतुर्थ श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, गोकुलवासी सुखी होते हैं, वे कृष्ण के आशीर्वाद से, अपने जीवन में आनंद पाते हैं।
पंचम श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, गोकुल का वातावरण पवित्र हो जाता है, यहाँ प्रेम, आनंद और शांति का वास होता है, यहाँ सब कुछ मंगलमय होता है।
षष्ठ श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, दुष्टों का नाश होता है, और धर्म की स्थापना होती है, यहाँ सब कुछ भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पित होता है।
सप्तम श्लोक
गोकुल में कृष्ण के साथ, जीवन का उद्देश्य मिल जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है, यहाँ सब कुछ भगवान कृष्ण की कृपा से होता है।
अष्टम श्लोक
हे श्रीकृष्ण, आपके गोकुल में निवास करने से, यहाँ सब कुछ सुखमय हो गया है, हम आपके चरणों में अपना सर्वस्व अर्पित करते हैं, हम आपके साथ एक हो जाते हैं।
श्रीगोकुलेशयनाशतकम् एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर भजनों और कीर्तनों में गाया जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को जागृत करता है।
श्रीगोकुलेशयनाशतकम् और श्रीगोकुलेशष्टकम् २ दोनों ही भगवान कृष्ण के गोकुल में निवास करने के समय के बारे में हैं। हालांकि, श्रीगोकुलेशयनाशतकम् कृष्ण की बालसुलभ हरकतों और गोकुल में उनके समय के आनंदमय क्षणों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जबकि श्रीगोकुलेशष्टकम् २ कृष्ण के रूप, गुणों और उनकी महिमा पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
Shrigokuleshayanashtakam
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