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- Create Date October 7, 2023
- Last Updated October 7, 2023
श्री गणेश भुजंगम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के रूप और गुणों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।
श्री गणेश भुजंगम का पाठ इस प्रकार है:
श्री गणेश भुजंगम
1. रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १ ॥
अनुवाद:
रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं - रणित करने वाले छोटे घण्टों की ध्वनि से सुंदर चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् - चलता-फिरता हुआ, और जैसे-जैसे वह चलता है, उसकी कमर पर लटकी हुई माला लहराती है लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं - उसके चमकीले शरीर पर विराजमान सर्पों का हार गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे - मैं गणेश को नमस्कार करता हूं, जो गणों के अधिपति और शिव के पुत्र हैं।
2. ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्बीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ २ ॥
अनुवाद:
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं - ध्वनि और विनाशक वीणाओं से प्रसन्न चेहरा स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्बीजपूरम् - चमकते हुए सूंड के डंडे और बीजों से भरा हुआ गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं - गले में हार और सुगंध से सुशोभित गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे - मैं गणेश को नमस्कार करता हूं, जो गणों के अधिपति और शिव के पुत्र हैं।
3. प्रकाशज्जपारक्तरन्तप्रसून- प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् ।
प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ३ ॥
अनुवाद:
प्रकाशज्जपारक्तरन्तप्रसून- प्रकाश से लाल हो जाने वाली अंतहीन प्रकारों के फूलों से सुशोभित प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् - लाल मूंगा की तरह चमकती हुई एकमात्र ज्योति प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं - लंबे पेट वाले, टेढ़ी सूंड वाले और एक दांत वाले गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे - मैं गणेश को नमस्कार करता हूं, जो गणों के अधिपति और शिव के पुत्र हैं।
4. विचित्रस्फुरद्रत्नमालाकिरीटं किरीटोल्लसच्चन्द्ररेखाविभूषम् ।
विभूषैकभूषणं भवध्वंसहेतुं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ४ ॥
अनुवाद:
विचित्रस्फुरद्रत्नमालाकिरीटं - चमकते हुए विविध रत्नों से बना मुकुट किरीटोल्लसच्चन्द्ररेखाविभूषम् - चमकते हुए मुकुट पर चंद्र रेखा से सुशोभित विभूषैकभूषणं भवध्वंसहेतुं - सभी प्रकार के आभूषणों में केवल एक आभूषण, जो भव को नष्ट करने वाला है गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे - मैं गणेश को नमस्कार करता हूं, जो गणों के अधि
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