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- Create Date November 22, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्रीकेशवादि चतुर्विंशतिनामस्तोत्रम् Srikeshavadi Chaturvinshatinamastotram
Srikeshavadi Chaturvinshatinamastotram
श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के भक्ति संत, श्री शंकराचार्य द्वारा रचित है।
स्तोत्र के प्रारंभ में, भगवान शिव को "केशावादि" के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है "केशों वाले"। उन्हें एक शक्तिशाली देवता और ब्रह्मांड के सृजनकर्ता के रूप में भी वर्णित किया गया है।
स्तोत्र में भगवान शिव की कई लीलाओं का उल्लेख किया गया है। उदाहरण के लिए, उन्हें पार्वती के साथ विवाह करने, दक्ष का वध करने और त्रिपुर का दहन करने के लिए जाना जाता है।
स्तोत्र का अंत इस प्रकार है:
इति श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्रं संपूर्णम्
यः पठेत् स एव भवेत् शिवप्रियः सर्वेश्वरो भवेत् स एव मोक्षवान्
इस प्रकार, यह स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह स्तोत्र भक्ति, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
यहां स्तोत्र का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्र का अंत
इस प्रकार श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्र पूर्ण हुआ। जो इसे पढ़ता है, वह शिव का प्रिय होता है। वह सर्वेश्वर होता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।
Srikeshavadi Chaturvinshatinamastotram
श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्र के प्रमुख छंद
- **"केशावादि करुणावतार,
- **शिव शंकर जय जय।
- **त्रिगुणमय परब्रह्म,
- सर्वेश्वर जय जय।"
इन छंदों में, भगवान शिव को एक करुणामयी देवता और ब्रह्मांड के सृजनकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान शिव त्रिगुणमय परब्रह्म हैं, यानी वे सृष्टि, पालन और संहार के देवता हैं।
- **"पार्वती के साथ विवाह किया,
- **दक्ष का वध किया।
- **त्रिपुर का दहन किया,
- दुष्टों का नाश किया।"
इन छंदों में, भगवान शिव की कई लीलाओं का उल्लेख किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान शिव ने पार्वती के साथ विवाह किया, दक्ष का वध किया और त्रिपुर का दहन किया। वे भक्तों से प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव उनकी कृपा करें और उन्हें दुष्टों से बचाएं।
श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्र का महत्व
श्रीकेशावादि चतुर्विशतिनामस्तोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शिव की भक्ति और उनके गुणों को प्रकट करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव की शरण में जाने और उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। यह स्तोत्र भक्तों को एक सात्विक जीवन जीने और दुष्टों से बचने के लिए भी प्रेरित करता है।