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- Create Date November 23, 2023
- Last Updated November 23, 2023
श्रीकृष्णाष्टकम् की चौथी पंक्ति निम्नलिखित है:
वन्दे मधुरवक्त्रम कृष्णं भक्तवत्सलम।
इसका अर्थ है:
मैं मधुर वक्तृत्व वाले कृष्ण को नमस्कार करता हूँ, जो अपने भक्तों के लिए सदैव प्रिय हैं।
इस पंक्ति में, कृष्ण के मधुर वक्तृत्व की प्रशंसा की गई है। कृष्ण का वक्तव्य अत्यंत सरल और समझने में आसान होता है। वे अपने वक्तव्य में श्लेष, अलंकार और अन्य साहित्यिक विधाओं का प्रयोग करते हैं। उनके वक्तव्य से भक्तों के मन में प्रेम और भक्ति की भावना जागृत होती है।
कृष्ण अपने भक्तों के लिए सदैव प्रिय हैं। वे अपने भक्तों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वे अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।
श्रीकृष्णाष्टकम् की चौथी पंक्ति भक्तों को कृष्ण के मधुर वक्तृत्व और भक्तवत्सलता के गुणों का ध्यान दिलाती है।
Srikrishnaashtakam 4
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