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- Create Date November 19, 2023
- Last Updated November 19, 2023
Shambhustavah
शम्भुस्तव एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के भक्त, महर्षि भारद्वाज द्वारा रचित है।
शम्भुस्तव का अर्थ है:
"हे शिव, आप शंभु हैं, आप महादेव हैं, आप रुद्र हैं, आप ईशान हैं, आप त्रिलोकनाथ हैं, आप ब्रह्मा, विष्णु, और महेश हैं, आप आदि हैं, आप अंत हैं, आप अनादि हैं, आप अनंत हैं, आप सर्वशक्तिमान हैं, आप सर्वज्ञ हैं, आप सर्वव्यापी हैं, आप सर्वोच्च हैं, आप पूर्ण हैं, आप अद्वितीय हैं, आप सर्व-व्यापक हैं, आप सर्व-प्रेरक हैं, आप सर्व-शक्तिमान हैं, आप सर्व-ज्ञानी हैं, आप सर्व-व्यापी हैं, आप सर्वोच्च हैं, आप पूर्ण हैं, आप अद्वितीय हैं।"
इस स्तोत्र का जाप करने से कई लाभ हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सभी प्रकार की बुराईयों से सुरक्षा
- रोगों से मुक्ति
- धन और समृद्धि में वृद्धि
- मनोकामनाओं की पूर्ति
शम्भुस्तव का जाप करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- स्तोत्र का जाप एक पवित्र स्थान पर करें।
- स्तोत्र का जाप करते समय शुद्ध रहें।
- स्तोत्र का जाप एकाग्रचित होकर करें।
शम्भुस्तव का जाप करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
- भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- स्तोत्र का जाप शुरू करें।
- स्तोत्र का जाप 108 बार या अपनी सुविधानुसार करें।
- स्तोत्र का जाप करने के बाद, भगवान शिव को धन्यवाद दें।
शम्भुस्तव का जाप करने से पहले किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा प्राप्त करना उचित है।
शम्भुस्तव एक बहुत ही सरल और प्रभावी स्तोत्र है जिसे कोई भी व्यक्ति आसानी से कर सकता है। इस स्तोत्र का जाप करने से मनुष्य को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
शम्भुस्तव का पाठ इस प्रकार है:
Shambhustavah
ॐ नमो भगवते शम्भवे महादेवाय रुद्राय ईशानाय त्रिलोकनाथाय ब्रह्माविष्णुमहेश्वराय
नमो आदि नमो अंताय नमो अनादि अनंताय सर्वशक्तिमानाय सर्वज्ञाय सर्वव्यापी सर्वोच्चाय
पूर्णाय अद्वितीयाय सर्वव्यापी सर्वप्रेरकाय सर्वशक्तिमानाय सर्वज्ञानाय सर्वव्यापी सर्वोच्चाय पूर्णाय अद्वितीयाय
॥ इति श्रीभारद्वाजकृतं शम्भुस्तवं सम्पूर्णम् ॥
इस स्तोत्र का अर्थ है:
"हे शिव, आपको मेरा प्रणाम। आप शंभु हैं, आप महादेव हैं, आप रुद्र हैं, आप ईशान हैं, आप त्रिलोकनाथ हैं, आप ब्रह्मा, विष्णु, और महेश हैं, आप आदि हैं, आप अंत हैं, आप अनादि हैं, आप अनंत हैं, आप सर्वशक्तिमान हैं, आप सर्वज्ञ हैं, आप सर्वव्यापी हैं, आप सर्वोच्च हैं, आप पूर्ण हैं, आप अद्वितीय हैं।
हे शिव, आप सर्वव्यापी हैं, आप सर्व-प्रेरक हैं, आप सर्वशक्तिमान हैं, आप सर्वज्ञानी हैं, आप सर्वव्यापी हैं, आप सर्वोच्च हैं, आप पूर्ण हैं, आप अद्वितीय हैं।"
शरभशान्तिस्तोत्रम् Sharbhashantistotram
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