• Version
  • Download 64
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 14, 2023
  • Last Updated November 14, 2023

व्रजगीतिः एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "व्रज की गीति"। यह शब्द उन गीतों को संदर्भित करता है जो भगवान कृष्ण की वृंदावन में लीलाओं का वर्णन करते हैं।

vrajageetih

व्रजगीतिः प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये गीत भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक प्रेरणा हैं। वे भगवान कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन करते हैं, और उन्हें भक्तों के दिलों में कृष्ण के प्रेम और भक्ति को जागृत करने में मदद करते हैं।

व्रजगीतिः की रचना कई महान कवियों और संतों ने की है, जिनमें सूरदास, मीराबाई, और तुलसीदास शामिल हैं। इन कवियों ने अपने गीतों में भगवान कृष्ण की लीलाओं का एक जीवंत और आकर्षक चित्रण किया है।

व्रजगीतिः की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • ये गीत प्रायः सरल और सुबोध भाषा में लिखे जाते हैं।
  • इन गीतों में भगवान कृष्ण की लीलाओं का एक सुंदर और आकर्षक चित्रण किया जाता है।
  • इन गीतों में भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े भावों को व्यक्त किया जाता है, जैसे प्रेम, भक्ति, और श्रद्धा।

व्रजगीतिः हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत हैं। ये गीत भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक अमूल्य संपत्ति हैं।

व्रजगीतिः के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • सूरदास की "वृंदावन विहारि" शीर्षक स्तुति
  • मीराबाई की "साखियाँ"
  • तुलसीदास की "कृष्ण गीतावली"

व्रजगीतिः आज भी हिंदू धर्म में लोकप्रिय हैं। ये गीत भजनों, कीर्तनों, और अन्य धार्मिक समारोहों में गाए जाते हैं।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *