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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
Vyaasakrtan shivasantapoojanavarnanam
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् एक प्राचीन पाठ है जो भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है। यह पाठ भगवान शिव की पूजा करने के सही तरीके का वर्णन करता है।
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् के रचयिता वेदव्यास हैं। यह पाठ 13 अध्यायों में विभाजित है। प्रत्येक अध्याय में भगवान शिव की पूजा के एक विशेष पहलू का वर्णन किया गया है।
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् के कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
- पूजा का समय और स्थान: भगवान शिव की पूजा प्रातःकाल, मध्याह्न और संध्याकाल में की जा सकती है। पूजा का स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।
- पूजा की सामग्री: भगवान शिव की पूजा में जल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य आदि सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- पूजा का तरीका: भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक की जानी चाहिए। पूजा में मंत्रों का उच्चारण और आराधना का भाव होना चाहिए।
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् एक महत्वपूर्ण पाठ है जो भगवान शिव के भक्तों को भगवान शिव की पूजा करने का सही तरीका सिखाता है। यह पाठ भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:
पहला श्लोक
शिवं शिवं शिवं देवं शिवं शिवं शिवं नमः। शिवस्य दर्शनं भक्तानां सर्वपापहरं फलम्।।
अर्थ:
हे शिव! तुम शिव हो, शिव हो, शिव हो। हे शिव! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं। शिव के दर्शन भक्तों के लिए सभी पापों का नाश करने वाला फल हैं।
vyaasakrtan shivasantapoojanavarnanam
दूसरा श्लोक
शिवस्य पूजां कुर्वतः सर्वपापविनिर्मुक्तः। शिवस्य प्रसादमाप्नोति सर्वकामफलमानन्दी।।
अर्थ:
जो शिव की पूजा करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। वह शिव के प्रसाद को प्राप्त करता है और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला आनंद प्राप्त करता है।
तीसरा श्लोक
शिवस्य पूजां कुर्वतः सर्वत्रैव पूज्यते। शिवस्य प्रसादमाप्नोति सर्वभूतेषु पूज्यते।।
अर्थ:
जो शिव की पूजा करता है, वह सभी जगह पूज्य होता है। वह शिव के प्रसाद को प्राप्त करता है और सभी प्राणियों में पूज्य होता है।
व्यासकृत शिवसंतापूजनवर्णनम् एक शक्तिशाली पाठ है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह पाठ नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को शांति, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
शिवशिवास्तुतिः Shivshivastutih
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