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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
Lingopanishat
लिंगोपनिषद् एक प्राचीन उपनिषद् है जो लिंग-पूजा के महत्व का वर्णन करता है। यह उपनिषद् 12 अध्यायों में विभाजित है। प्रत्येक अध्याय में लिंग-पूजा के एक विशेष पहलू का वर्णन किया गया है। यह उपनिषद् लिंग-पूजा के सिद्धांतों और व्यावहारिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
लिंगोपनिषद् के रचयिता अज्ञात हैं। यह उपनिषद् वेदांत के अद्वैत दर्शन पर आधारित है।
लिंगोपनिषद् के कुछ प्रमुख श्लोक और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:
पहला श्लोक
लिंगं ब्रह्म लिंगं विष्णुः लिंगं रुद्रो महेश्वरः। लिंगं साक्षात परब्रह्म तस्मै लिंगाय नमो नमः।।
अर्थ:
लिंग ब्रह्म है, लिंग विष्णु है, लिंग रुद्र है, लिंग महेश्वर है। लिंग साक्षात परब्रह्म है, उस लिंग को मैं बार-बार प्रणाम करता हूं।
दूसरा श्लोक
लिंगं सर्वविद्यानां बीजं लिंगं सर्वदेवानां निवासः। लिंगं सर्वभूतानां कारणं लिंगं सर्वशक्तिसाधानम्।।
अर्थ:
लिंग सभी विद्याओं का बीज है, लिंग सभी देवताओं का निवास है। लिंग सभी प्राणियों का कारण है, लिंग सभी शक्तियों का साधन है।
Lingopanishat
तीसरा श्लोक
लिंगं सर्वभूतानाम् आश्रयं लिंगं सर्वपापनाशनम्। लिंगं सर्वकामदायकं लिंगं सर्वशक्तिसाधानम्।।
अर्थ:
लिंग सभी प्राणियों का आश्रय है, लिंग सभी पापों का नाश करने वाला है। लिंग सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है, लिंग सभी शक्तियों का साधन है।
लिंगोपनिषद् एक शक्तिशाली उपनिषद् है जो लिंग-पूजा के महत्व का वर्णन करता है। यह उपनिषद् लिंग-पूजा के सिद्धांतों और व्यावहारिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह उपनिषद् लिंग-पूजा के भक्तों के लिए बहुत मूल्यवान है।
लिंगोपनिषद् के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
- यह उपनिषद् लिंग-पूजा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करता है।
- यह उपनिषद् लिंग-पूजा के विभिन्न मंत्रों का वर्णन करता है।
- यह उपनिषद् लिंग-पूजा के विभिन्न लाभों का वर्णन करता है।
लिंगोपनिषद् एक महत्वपूर्ण उपनिषद् है जो लिंग-पूजा के अध्ययन और अभ्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वातूलनाथसूत्राणि Vaatulanathsutraani
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