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  • Create Date October 11, 2023
  • Last Updated October 11, 2023

राघवाष्टकम्

अर्थ:

हे राम, तुम्हें नमस्कार। तुम करुणा के सागर हो, तुम मुनिजनों द्वारा पूजित हो, तुम देवताओं द्वारा वंदित हो। तुम सीता के प्रिय हो, तुम हनुमान के मित्र हो, और तुम राक्षसों के लिए भयंकर हो। मैं तुम्हारे चरणों में प्रणाम करता हूं।

शाब्दिक अर्थ:

  • राघव - राम
  • करुणाकर - करुणा का सागर
  • मुनिसेवित - मुनिजनों द्वारा पूजित
  • सुरवन्दित - देवताओं द्वारा वंदित
  • जानकीवदनारविन्द - सीता के प्रिय
  • हनुमतप्रिय - हनुमान के मित्र
  • यातुधानभयंकर - राक्षसों के लिए भयंकर
  • प्रणाम - नमस्कार

विशेषताएं:

  • यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है।
  • प्रत्येक श्लोक में, राम के विभिन्न गुणों और विशेषताओं की प्रशंसा की जाती है।
  • यह स्तोत्र राम भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

फलश्रुति:

जो कोई इस राघवाष्टक का पाठ करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।


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