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- Create Date October 24, 2023
- Last Updated July 29, 2024
मोक्षप्रदश्रीपुण्डरीकाक्षस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की प्रशंसा में लिखा गया है। यह स्तोत्र 100 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों और गुणों की वर्णन है।
प्रथम श्लोक:
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विष्णो नमस्ते नमस्ते गोविन्द नमस्ते हरि नमस्ते नमस्ते केशव नमस्ते माधव नमस्ते नमस्ते नारायण नमस्ते वासुदेव नमस्ते॥
अनुवाद:
हे पुण्डरीकाक्ष, हे विष्णु, हे गोविन्द, हे हरि, हे केशव, हे माधव, हे नारायण, हे वासुदेव, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
द्वितीय श्लोक:
नमस्ते सर्वेश्वर नमस्ते भगवन् नमस्ते नमस्ते जगत्पते नमस्ते लोकशङ्कर नमस्ते नमस्ते त्रिलोकनाथ नमस्ते त्रिभुवनेश नमस्ते नमस्ते सर्वशक्ति नमस्ते सर्वज्ञ नमस्ते॥
अनुवाद:
हे सर्वेश्वर, हे भगवन्, हे जगत्पते, हे लोकशङ्कर, हे त्रिलोकनाथ, हे त्रिभुवनेश, हे सर्वशक्ति, हे सर्वज्ञ, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
तृतीय श्लोक:
नमस्ते कल्पतरु नमस्ते चतुर्भुज नमस्ते नमस्ते चन्द्रशेखर नमस्ते वृषभध्वज नमस्ते नमस्ते चक्रपाणि नमस्ते गदाधर नमस्ते नमस्ते सुदर्शनधारी नमस्ते सर्वाधार नमस्ते॥
अनुवाद:
हे कल्पतरु, हे चतुर्भुज, हे चन्द्रशेखर, हे वृषभध्वज, हे चक्रपाणि, हे गदाधर, हे सुदर्शनधारी, हे सर्वाधार, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
चतुर्थ श्लोक:
नमस्ते पद्मनाभ नमस्ते नृसिंह नमस्ते नमस्ते वाराह नमस्ते कूर्म नमस्ते नमस्ते मृगेन्द्र नमस्ते गरुड नमस्ते नमस्ते हयग्रीव नमस्ते शेष नमस्ते॥
अनुवाद:
हे पद्मनाभ, हे नृसिंह, हे वाराह, हे कूर्म, हे मृगेन्द्र, हे गरुड, हे हयग्रीव, हे शेष, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
मोक्षप्रदश्रीपुण्डरीकाक्षस्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ:
- यह स्तोत्र भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र भक्ति और ध्यान को बढ़ावा देता है।
- यह स्तोत्र ज्ञान और आत्म-ज्ञान को प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र जीवन में शांति और आनंद लाता है।
मोक्षप्रदश्रीपुण्डरीकाक्षस्तोत्रम् का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या रात को सोने से पहले है। इस स्तोत्र का पाठ करते समय, मन को भगवान विष्णु के रूप और गुणों पर केंद्रित करना चाहिए।
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