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  • Create Date November 16, 2023
  • Last Updated November 16, 2023

मंगलाचरणम् 3 एक संस्कृत श्लोक है जो भगवान गणेश की स्तुति में लिखा गया है। यह श्लोक 10वीं शताब्दी के कवि अनंताचार्य द्वारा रचित है।

मंगलाचरणम् 3 का पाठ निम्नलिखित है:

mangalaacharanam 3

वक्रतुण्ड महाकाय,
सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इस श्लोक का अर्थ है:

हे वक्रतुण्ड, हे महाकाय, हे सूर्य के समान तेजस्वी, हे विघ्नहर्ता, हे देव! कृपया सभी कार्यों में मुझे निर्विघ्नता प्रदान करो।

मंगलाचरणम् 3 की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • यह श्लोक भगवान गणेश की स्तुति में लिखा गया है।
  • श्लोक में गणेश को एक महान देवता के रूप में चित्रित किया गया है।
  • श्लोक में गणेश से सभी कार्यों में निर्विघ्नता प्रदान करने की प्रार्थना की गई है।

मंगलाचरणम् 3 को अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों में पढ़ा जाता है। यह श्लोक भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।

मंगलाचरणम् 3 को "गणेश चालीसा" के नाम से भी जाना जाता है। यह चालीसा भगवान गणेश की स्तुति में लिखी गई एक प्रसिद्ध भक्ति कविता है।


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