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- Create Date October 25, 2023
- Last Updated October 25, 2023
पंचपद्यानि, जिसे हिंदी में "पांच पद्य" भी कहा जाता है, संस्कृत साहित्य की एक विधा है जिसमें पाँच पद्य होते हैं। ये पद्य एक ही छंद में होते हैं और एक ही विषय पर आधारित होते हैं। पंचपद्यानि का उपयोग अक्सर शिक्षा, प्रचार या मनोरंजन के लिए किया जाता है।
पंचपद्यानि की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। इस विधा के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक "पंचतंत्र" है, जो एक संग्रह है जिसमें पाँच कहानियाँ हैं, प्रत्येक कहानी पाँच पद्यों में लिखी गई है।
पंचपद्यानि के कुछ प्रसिद्ध उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- पंचतंत्र की कहानियाँ
- हितोपदेश की कहानियाँ
- शिशुपालवध की कविता
- उपदेशशतक की कविता
- गीतांजलि की कविताएँ
पंचपद्यानि का उपयोग आज भी संस्कृत साहित्य में किया जाता है। यह एक लोकप्रिय विधा है जो पाठकों को संस्कृत के सौंदर्य और शक्ति का आनंद लेने का एक तरीका प्रदान करती है।
यहाँ एक पंचपद्यानि का उदाहरण दिया गया है:
मित्रं कुरुष्व सुजनं,
अकृतज्ञं न सेवस्व।
आत्मनः हितं चिन्तय,
अन्येषां न मिथ्यावादः।
पञ्चपद्यानि Panchpadyani
अकृतज्ञं न सेवस्व।
आत्मनः हितं चिन्तय,
अन्येषां न मिथ्यावादः।
पञ्चपद्यानि Panchpadyani
अनुवाद:
मित्र बनाओ सज्जन को, अकृतज्ञ को मत सेवा करो। अपने हित को सोचो, दूसरों को झूठ मत बोलो।
यह पंचपद्यानि मित्रता और सत्यवादिता के महत्व पर आधारित है। यह हमें सिखाता है कि हमें केवल सज्जन लोगों को मित्र बनाना चाहिए और दूसरों को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
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