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- Create Date October 25, 2023
- Last Updated July 29, 2024
नित्यानंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम्, जिसे हिंदी में "नित्यानंद के 128 नामों का स्तवन" भी कहा जाता है, एक संस्कृत स्तोत्र है जो चैतन्य महाप्रभु के प्रथम शिष्य, नित्यानंद प्रभु की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र 128 श्लोकों में नित्यानंद प्रभु के विभिन्न नामों और गुणों का वर्णन करता है।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् की रचना 16वीं शताब्दी में हुई थी। इसका रचनाकार अज्ञात है, लेकिन यह माना जाता है कि यह स्तोत्र चैतन्य महाप्रभु के किसी भक्त ने रचा था।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो नित्यानंद प्रभु की भक्ति को बढ़ावा देता है। यह स्तोत्र भक्तों को नित्यानंद प्रभु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद करता है।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् के कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं:
नित्यानन्दाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् Nityanandashottarashatanamastotram
- नित्यनंद प्रभु की विशिष्टता: स्तोत्र नित्यानंद प्रभु को एक विशिष्ट व्यक्ति के रूप में चित्रित करता है जो भगवान कृष्ण के अवतार हैं।
- नित्यनंद प्रभु की भक्ति: स्तोत्र नित्यानंद प्रभु की भक्ति और भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को प्रदर्शित करता है।
- नित्यनंद प्रभु का प्रभाव: स्तोत्र नित्यानंद प्रभु के जीवन और कार्यों के प्रभाव को दर्शाता है।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् एक शक्तिशाली धार्मिक पाठ है जो भक्तों को नित्यानंद प्रभु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र चैतन्य महाप्रभु के भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसे अक्सर भक्ति अनुष्ठानों में गाया जाता है।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् के कुछ प्रसिद्ध श्लोक निम्नलिखित हैं:
- श्लोक 1:
नित्यनन्दं गोविन्दं कृष्णं चैतन्यं श्रीकृष्णं नित्यानन्दं गोविन्दं कृष्णं चैतन्यं श्रीकृष्णं ॥१॥
अनुवाद:
नित्यनंद, गोविंद, कृष्ण और चैतन्य एक ही हैं।
- श्लोक 2:
नित्यनन्दं भक्तवत्सलं भक्तानां हितैषिणम् नित्यनन्दं भक्तवत्सलं भक्तानां हितैषिणम् ॥२॥
अनुवाद:
नित्यनंद भक्तों के लिए दयालु हैं और उनकी भलाई चाहते हैं।
- श्लोक 3:
नित्यनन्दं कृष्णस्य अवतारं महात्मनम् नित्यनन्दं कृष्णस्य अवतारं महात्मनम् ॥३॥
अनुवाद:
नित्यनंद कृष्ण के अवतार हैं, एक महान आत्मा।
नित्यनंदशोत्तरशतनामास्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो नित्यानंद प्रभु की भक्ति को बढ़ावा देता है। यह स्तोत्र भक्तों को नित्यानंद प्रभु के प्रति प्रेम और श्रद्धा विकसित करने में मदद करता है।
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