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- Create Date October 30, 2023
- Last Updated October 30, 2023
नित्यानन्दाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के अवतार नित्यानन्द के रूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में रचित है और इसमें नित्यानन्द के रूप और गुणों का वर्णन किया गया है।
स्तोत्र का प्रारंभ नित्यानन्द के रूप और गुणों के वर्णन से होता है। स्तोत्र में नित्यानन्द को सर्वशक्तिमान, दयालु, और करुणामय बताया गया है।
नित्यानन्दाष्टकम् का पाठ करने से भगवान नित्यानन्द की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान नित्यानन्द के प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देता है।
नित्यानन्दाष्टकम् के 8 श्लोक इस प्रकार हैं:
1. श्रीनित्यानन्दाय नमः सर्वाधाराय च नमः । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वात्मने च नमः ॥ १ ॥
अर्थ:
हे नित्यानन्द! आपको मेरा नमस्कार है। आप सभी का आधार हैं। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी आत्माओं में निवास करते हैं।
2. नमस्ते सर्वगुणात्मने सर्वशक्तिमते नमः । सर्वमंगलमूर्तिवे सर्वलोकनमस्कारे ॥ २ ॥
अर्थ:
हे सर्वगुणात्मन्! आपको मेरा नमस्कार है। आप सर्वशक्तिमान हैं। आप सभी मंगलों के मूर्त रूप हैं। आपको सभी लोकों में नमस्कार है।
3. नमस्ते सर्वात्मने सर्वज्ञाय च नमः । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वाधाराय च नमः ॥ ३ ॥
अर्थ:
हे सर्वात्मन्! आपको मेरा नमस्कार है। आप सर्वज्ञ हैं। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी का आधार हैं।
4. नमस्ते सर्वरूपाय सर्वकारणाय च नमः । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वाधाराय च नमः ॥ ४ ॥
अर्थ:
हे सर्वरूपिन्! आपको मेरा नमस्कार है। आप सभी कारणों के कारण हैं। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी का आधार हैं।
5. नमस्ते सर्वात्माय सर्वभूताधिपतये नमः । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वाधाराय च नमः ॥ ५ ॥
अर्थ:
हे सर्वात्मा! आपको मेरा नमस्कार है। आप सभी प्राणियों के स्वामी हैं। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी का आधार हैं।
6. नमस्ते सर्वमूर्तिवे सर्वगुणसम्पन्नाय च नमः । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वाधाराय च नमः ॥ ६ ॥
अर्थ:
हे सर्वमूर्ति! आपको मेरा नमस्कार है। आप सभी गुणों से सम्पन्न हैं। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी का आधार हैं।
7. नमस्ते सर्वाधाराय सर्वलोकनमस्कारे । सर्वेश्वराय नमस्ते सर्वाधाराय च नमः ॥ ७ ॥
अर्थ:
हे सर्वाधारिन्! आपको मेरा नमस्कार है। आपको सभी लोकों में नमस्कार है। आप सर्वेश्वर हैं। आप सभी का आधार हैं।
8. नमस्ते सर्वगुणात्मने सर्वशक्तिमते नमः । सर्वमंगलमूर्तिवे सर्वलोकनमस्कारे ॥ ८ ॥
अर्थ:
हे सर्वगुणात्मन्! आपको मेरा नमस्कार है। आप सर्वशक्तिमान हैं। आप सभी मंगलों के मूर्त रूप हैं। आपको सभी लोकों में नमस्कार है।
नित्यानन्दाष्टकम् एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान नित्यानन्द के प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देता है।
नित्यानन्द के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी:
- नित्यानन्द भगवान विष्णु के अवतार हैं।
- उन्हें भगवान कृष्ण के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है।
- नित्यानन्द को आनंद का अवतार माना जाता है।
- वे भगवान