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  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

दुर्गाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिंदू देवी दुर्गा की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में बांटा गया है, प्रत्येक श्लोक देवी दुर्गा के एक अलग पहलू की प्रशंसा करता है।

दुर्गाष्टकम् की रचना 16वीं शताब्दी में कवि श्रीधर भट्टाचार्य ने की थी। स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त ध्यान से देवी दुर्गा की छवि को अपने मन में लाते हैं। फिर, वे देवी को उनकी सभी शक्तियों और गुणों के लिए प्रणाम करते हैं।

दुर्गाष्टकम् के 8 श्लोक इस प्रकार हैं:

1. श्लोक

जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

अनुवाद

हे जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा! आपको प्रणाम है।

2. श्लोक

जयै देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अनुवाद

हे देवी! आप सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं। आपको बार-बार प्रणाम है।

3. श्लोक

सरस्वती रूपेण विद्यां देहि ज्ञानमयीम्। शक्तिम देहि पराम् ब्रह्मरूपेण देहि।

अनुवाद

हे देवी! आप सरस्वती रूप में ज्ञान और ज्ञानमयी हैं। मुझे शक्ति प्रदान करें और मुझे ब्रह्म रूप में दें।

4. श्लोक

लक्ष्मी रूपेण सौभाग्यं देहि धनधान्यादीन्। शत्रुबुद्धि विनाशाय दुर्गा रूपेण देहि।

अनुवाद

हे देवी! आप लक्ष्मी रूप में सौभाग्य, धन और धान्य आदि प्रदान करती हैं। मुझे अपने शत्रुओं के बुद्धि को नष्ट करने के लिए दुर्गा रूप में शक्ति प्रदान करें।

5. श्लोक

राक्षस क्षयकारिणी चंडिका रूपेण देहि। महामाया रूपेण मायामोहिनी देहि।

अनुवाद

हे देवी! आप राक्षसों का नाश करने वाली चंडिका रूप में हैं। मुझे मायामोहिनी रूप में शक्ति प्रदान करें।

6. श्लोक

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

अनुवाद

हे सर्व मंगल की देवी! हे शिवा! हे सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली! हे शरण्ये! हे त्रिनेत्र! हे गौरी! हे नारायणि! आपको प्रणाम है।

7. श्लोक

इष्टा वश्यकरी भक्तवत्सले सर्व दुःख भञ्जनी। दुर्गे देवि नमोऽस्तुते।।

अनुवाद

हे देवी दुर्गा! आप इष्ट को वश में करने वाली, भक्तों को प्यार करने वाली और सभी दुखों को नष्ट करने वाली हैं। आपको प्रणाम है।

8. श्लोक

सप्तशती स्तवमाला पठित्वा यः सुखी भवेत्। सर्वत्र विजयी भवेत् नास्ति तस्य विघ्नं क्वचित्।।

अनुवाद

जो व्यक्ति सप्तशती स्तोत्रमाला का पाठ करता है, वह सुखी होता है। वह सभी जगह विजयी होता है और उसके लिए कोई बाधा नहीं होती है।

दुर्गाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।


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