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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

जगन्मंगल कवचस्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की रक्षा प्रदान करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन करता है जो साधक की रक्षा करते हैं।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र में 10 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक भगवान शिव से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करता है। भगवान शिव उनकी प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें अपनी रक्षा प्रदान करते हैं। स्तोत्र में, भगवान शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक की रक्षा करते हैं।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी बुराईयों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और भगवान शिव की पूजा करें।
  3. अब, जगन्मंगल कवचस्तोत्र का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, भगवान शिव पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी बुराईयों से सुरक्षा
  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

जगन्मंगल कवचस्तोत्र का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करता है।

जगन्मंगल कवचस्तोत्र के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

॥ जगन्मंगल कवचस्तोत्र ॥

अथ जगन्मंगल कवचस्तोत्र।

ॐ नमस्ते रुद्राय महेश्वराय।

ॐ नमस्ते पार्वतीप्रियाय।

ॐ नमस्ते सकलभूतपति।

ॐ नमस्ते जगन्मंगलकारी।

ॐ नमस्ते सर्वव्यापी।

ॐ नमस्ते सर्वाधार।

ॐ नमस्ते सर्वशक्तिमान।

ॐ नमस्ते सर्वभूतहितकारी।

ॐ नमस्ते सर्वपापनाशिने।

ॐ नमस्ते सर्वशत्रुनाशिने।

ॐ नमस्ते सर्वविघ्ननाशिने।

ॐ नमस्ते सर्वभयनाशिने।

ॐ नमस्ते सर्वार्थसिद्धये।

ॐ नमस्ते सर्वमंगलप्रदाय।

ॐ नमस्ते सर्वशक्तिमते।

ॐ नमस्ते सर्वरक्षाकारिणे।

इस स्तोत्र का अर्थ है:

"मैं भगवान शिव को प्रणाम करता हूं।

मैं भगवान शिव की पत्नी पार्वती को प्रणाम करता हूं।

मैं समस्त प्राणियों के स्वामी को प्रणाम करता हूं।

मैं समस्त जगत् को मंगल प्रदान करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सर्वव्यापी को प्रणाम करता हूं।

मैं सर्वाधार को प्रणाम करता हूं।

मैं सर्वशक्तिमान को प्रणाम करता हूं।

मैं समस्त प्राणियों की भलाई करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी पापों को नष्ट करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी विघ्नों को नष्ट करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी भयों को नष्ट करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी प्रकार के धन-संपदा और सुख-शांति को प्रदान करने वाले को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी शक्तियों से युक्त को प्रणाम करता हूं।

मैं सभी प्रकार की रक्षा करने वाले को प्रणाम करता हूं।"


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