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- Create Date October 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
गायत्रीनामाश्टविंशतिस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी गायत्री के नामों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 28 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में देवी गायत्री के एक अलग नाम का वर्णन किया गया है।
गायत्रीनामाश्टविंशतिस्तोत्रम् की रचना किसने की, यह निश्चित रूप से नहीं पता है, लेकिन माना जाता है कि यह एक प्राचीन स्तोत्र है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में पढ़ा जाता है।
गायत्रीनामाश्टविंशतिस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:
पहला श्लोक:
ॐ गायत्री नामाष्टविंशतिस्तोत्रम्
श्रीगायत्री महामहालक्ष्मी
सर्वार्थसाधिके नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! हे महामहालक्ष्मी! हे सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली! आपको मेरा नमस्कार है।"
दूसरा श्लोक:
ॐ सर्वदेवजननी गायत्री
सर्वज्ञे सर्वशक्तिमते
सर्वदुःखशोकहरणी
सर्वकामफलप्रदायिनि
नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! हे सभी देवताओं की जननी! हे सर्वज्ञ! हे सर्वशक्तिमान! हे सभी दुःख और शोक को दूर करने वाली! हे सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली! आपको मेरा नमस्कार है।"
तीसरा श्लोक:
ॐ त्रिगुणात्मके गायत्री
ब्रह्मारूपिण्यै च विष्णुरूपिण्यै
रुद्ररूपिण्यै च
सर्वशक्तिस्वरूपिण्यै नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! हे त्रिगुणात्मक! हे ब्रह्मरूपिणी! हे विष्णुरूपिणी! हे रुद्ररूपिणी! हे सर्वशक्तिस्वरूपिणी! आपको मेरा नमस्कार है।"
चौथा श्लोक:
ॐ जगज्जननी गायत्री
सर्वव्यापीनि सर्वशक्तिमते
सर्वदुःखशोकहरणी
सर्वकामफलप्रदायिनि
नमः
अर्थ:
"हे गायत्री! हे जगज्जननी! हे सर्वव्यापी! हे सर्वशक्तिमान! हे सभी दुःख और शोक को दूर करने वाली! हे सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली! आपको मेरा नमस्कार है।"
गायत्रीनामाश्टविंशतिस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी गायत्री की आराधना करने का एक प्रभावी तरीका है। यह स्तोत्र भक्तों को ज्ञान, आध्यात्मिकता और प्रकाश प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
गायत्रीनामाश्टविंशतिस्तोत्रम् का पाठ करने से पहले, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप इसे सही तरीके से कर रहे हैं। आप किसी योग्य गुरु से इसकी सही विधि सीख सकते हैं।
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