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  • Create Date November 16, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के बाल रूप दामोदर की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र 10वीं शताब्दी के कवि अनंताचार्य द्वारा रचित है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् में कुल 10 श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में 16 मात्राएँ हैं।

Kartik Damodar Stotram

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् की रचना का उद्देश्य भगवान विष्णु के बाल रूप दामोदर की महिमा का वर्णन करना है। स्तोत्र में दामोदर को एक अद्वितीय और सर्वोच्च देवता के रूप में चित्रित किया गया है। दामोदर को विष्णु के अवतारों में से एक माना जाता है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् की भाषा संस्कृत की सुंदर और सरल भाषा है। स्तोत्र में कई सुंदर और भावपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया गया है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् को संस्कृत साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना माना जाता है। यह स्तोत्र आज भी लोकप्रिय है और इसे अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों में पढ़ा जाता है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् के कुछ प्रसिद्ध श्लोक निम्नलिखित हैं:

  • "कार्तिकेयस्य सुतः दामोदरः,

  • गोवर्धनगिरिधारणादि लीलाभिः

  • विश्वं मोहितवान्,

  • तं प्रणम्य देवं वन्दे॥"

  • "गोपीजनवल्लभा,

  • कृष्णस्य बालरूपं,

  • दामोदरं वन्दे,

  • शङ्खचक्रगदाधरं॥"

  • "यस्य नाम्ना पापनाशा,

  • यस्य नाम्ना रोगनाशा,

  • यस्य नाम्ना भयनाशा,

  • तं दामोदरं वन्दे॥"

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान विष्णु के बाल रूप दामोदर की स्तुति में लिखा गया है।
  • स्तोत्र में दामोदर को एक अद्वितीय और सर्वोच्च देवता के रूप में चित्रित किया गया है।
  • स्तोत्र की भाषा संस्कृत की सुंदर और सरल भाषा है।
  • स्तोत्र में कई सुंदर और भावपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया गया है।
  • कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् को संस्कृत साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना माना जाता है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के बाल रूप दामोदर की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु की भक्ति में प्रेरित करता है।

कार्तिक दामोदर स्तोत्रम् का एक प्रसिद्ध अनुवाद निम्नलिखित है:

हे कार्तिकेय के पुत्र दामोदर! गोवर्धन पर्वत उठाने जैसे लीलाओं से तुमने संसार को मोहित किया है। मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।

हे कृष्ण के बाल रूप! गोपियों के प्रिय! शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले! मैं तुम्हें दामोदर के रूप में वन्द करता हूँ।

हे दामोदर! तुम्हारा नाम पापों का नाश करता है, तुम्हारा नाम रोगों का नाश करता है, तुम्हारा नाम भय का नाश करता है। मैं तुम्हें वन्द करता हूँ।


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