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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Upmanyukritshivastotram
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। इस स्तोत्र के रचयिता उपमन्यु हैं, जो एक ऋषि थे। यह स्तोत्र 108 छंदों में विभाजित है, और प्रत्येक छंद में भगवान शिव के एक अलग गुण या रूप की स्तुति की जाती है।
स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त भगवान शिव को नमस्कार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की याचना करते हैं। फिर, वे भगवान शिव के विभिन्न रूपों की स्तुति करते हैं। वे बताते हैं कि कैसे भगवान शिव ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं। वे बताते हैं कि कैसे भगवान शिव भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।
स्तोत्र की समाप्ति में, भक्त भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करें और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करें।
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
स्तोत्र के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- भगवान शिव ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।
- भगवान शिव भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।
- भगवान शिव सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् का पाठ करने से आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
- आपको मानसिक शांति और सुख प्राप्त हो सकता है।
- आपको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् का पाठ करने के लिए, आप एक साफ और शांत जगह पर बैठ सकते हैं। अपने सामने एक दीपक जलाकर भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति रख सकते हैं। फिर, स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को समझने का प्रयास कर सकते हैं। स्तोत्र का पाठ कम से कम 108 बार करना चाहिए।
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:
Upmanyukritshivastotram
प्रथम श्लोक
हे भगवान शिव, आप ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं। आप भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
द्वितीय श्लोक
आप अजर, अमर और अविनाशी हैं। आप सभी प्रकार की शक्तियों के स्वामी हैं। आप भक्तों के लिए एक शरणस्थली हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
तृतीय श्लोक
आप सभी प्रकार के पापों से मुक्त कर सकते हैं। आप भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान कर सकते हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
चतुर्थ श्लोक
आप सभी प्रकार के ज्ञान के स्वामी हैं। आप भक्तों को ज्ञान और विवेक प्रदान कर सकते हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
इत्यादि
उपमन्युकृतशिवस्तोत्रम् एक लंबा स्तोत्र है, लेकिन यह एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
उदाहरण के लिए, स्तोत्र के पहले श्लोक का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:
हे भगवान शिव, आप ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं। आप भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को नमस्कार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की याचना करते हैं। वे बताते हैं कि भगवान शिव ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।
कैलासशैलशिखराधिपतिस्तवः Kailashshaila Shikharadhipatistva
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