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- Create Date November 4, 2023
- Last Updated July 29, 2024
ईश्वर स्तोत्रम् 2
श्लोक 1
अज्ञात रूपाय अदृश्याय, अविनाशी, अज, अनादि। तुम हो आदि, मध्य, अंत, तुम हो सर्वव्यापी, सदा।
अर्थ:
हे ईश्वर, आप अज्ञात रूप, अदृश्य, अविनाशी, अज और अनादि हैं। आप ही आदि, मध्य और अंत हैं। आप सर्वव्यापी और सदा विद्यमान हैं।
श्लोक 2
तुम ही ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, तुम ही सूर्य, चंद्र, नक्षत्र। तुम ही वायु, अग्नि, जल, तुम ही पृथ्वी, आकाश।
अर्थ:
आप ही ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र हैं। आप ही सूर्य, चंद्र और नक्षत्र हैं। आप ही वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी हैं। आप ही आकाश हैं।
श्लोक 3
तुम ही मन, बुद्धि, चित्त, तुम ही प्राण, आत्मा। तुम ही शुभ, अशुभ, तुम ही सबका आधार।
अर्थ:
आप ही मन, बुद्धि और चित्त हैं। आप ही प्राण और आत्मा हैं। आप ही शुभ और अशुभ हैं। आप ही सबका आधार हैं।
श्लोक 4
तुम ही सत्य, ज्ञान, आनंद, तुम ही करुणा, दया। तुम ही शक्ति, भक्ति, तुम ही सबका सार।
अर्थ:
आप ही सत्य, ज्ञान और आनंद हैं। आप ही करुणा और दया हैं। आप ही शक्ति और भक्ति हैं। आप ही सबका सार हैं।
श्लोक 5
तुम ही सबकी आत्मा, तुम ही सबके नाथ। तुम ही सबके पति, तुम ही सबके पिता।
अर्थ:
आप ही सबकी आत्मा हैं। आप ही सबके नाथ हैं। आप ही सबके पति हैं। आप ही सबके पिता हैं।
श्लोक 6
तुम ही सबका रक्षक, तुम ही सबका उद्धारक। तुम ही सबका आश्रय, तुम ही सबका प्रकाशक।
अर्थ:
आप ही सबका रक्षक हैं। आप ही सबका उद्धारक हैं। आप ही सबका आश्रय हैं। आप ही सबका प्रकाशक हैं।
श्लोक 7
तुम ही सबका स्वामी, तुम ही सबका देवता। तुम ही सबका भजन, तुम ही सबका ध्यान।
अर्थ:
आप ही सबके स्वामी हैं। आप ही सबके देवता हैं। आप ही सबका भजन हैं। आप ही सबका ध्यान हैं।
श्लोक 8
हे ईश्वर, मैं आपको नमस्कार करता हूं। मैं आपके चरणों में शरण लेता हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें और मुझे मोक्ष प्रदान करें।
Ishwar Stotram 2
अर्थ:
हे ईश्वर, मैं आपको नमस्कार करता हूं। मैं आपके चरणों में शरण लेता हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें और मुझे मोक्ष प्रदान करें।
ईश्वर स्तोत्रम् 2 एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को ईश्वर की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र ईश्वर की विभिन्न शक्तियों और गुणों की प्रशंसा करता है। यह भक्तों को ईश्वर के करीब आने और उनके दिव्य ज्ञान और कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
ईश्वर स्तोत्रम् 2 का पाठ करने के लिए, भक्तों को एक शांत स्थान पर जाना चाहिए और अपनी आँखें बंद करनी चाहिए। फिर, वे स्तोत्र का ध्यान से पाठ कर सकते हैं। वे अपने मन में ईश्वर के बारे में सोच सकते हैं और उनकी प्रार्थना कर सकते हैं।
ईश्वर स्तोत्रम् 2 का पाठ करने के कुछ विशेष लाभ निम्नलिखित हैं:
- भक्ति: ईश्वर स्तोत्रम् 2 का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति को बढ़ाता है।
- शांति: ईश्वर स्तोत्रम् 2 मन को शांत करती है और तनाव को दूर करती है
ऋषिगौतमप्रोक्तं भावलिङ्गपूजनम् Rishi Gautam Proktam Bhavalinga Pujanam
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