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  • Create Date November 25, 2023
  • Last Updated August 23, 2024

आपदुद्धारक श्रीहनुमत्सोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र हनुमान की महिमा का वर्णन करता है।

स्तोत्र के अनुसार, हनुमान भगवान राम के परम भक्त हैं। वे सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने वाले हैं। वे अपने भक्तों को सभी प्रकार के सुखों को प्रदान करते हैं।

स्तोत्र के 10 श्लोक हैं, और इसका अर्थ इस प्रकार है:

aapaduddhaarak shreehanumatsotram

श्लोक:

1. जयति जयति हनुमंत बलवान संकटमोचन नमन करूँ।

अर्थ:

हे जयजयकार करने वाले, बलवान हनुमान, संकटों को दूर करने वाले, आपको नमन करता हूँ।

2. रामदूत अतुलित बलधारी

काय कल्पतरु समीरन करूँ।

अर्थ:

भगवान राम के दूत, अतुलित बल वाले, शरीर कल्पवृक्ष के समान, आपको नमस्कार करता हूँ।

3. संकटमोचन रक्षा करहु

जनकसुता के भक्तन की।

अर्थ:

संकटों को दूर करने वाले, कृपया रक्षा करें भगवान राम की पत्नी सीता के भक्तों की।

4.। अष्ट सिद्धि नौ निधि लखन

देहु सुरति विनय करूँ।

अर्थ:

आठ सिद्धि और नौ निधि प्रदान करें लखन जी को, विनती करता हूँ।

5.। रामचंद्रजी की दुहाई

तुमने ली जो कसम सच करूँ।

अर्थ:

भगवान राम की दुहाई, आपने जो कसम ली है, उसे सच्चा करके दिखाता हूँ।

6.। जो यह पाठ पढ़े मन लावें

हनुमंत से मनवांछित पावे।

अर्थ:

जो यह पाठ पढ़कर मन में लावें, हनुमान से मनवांछित पाते हैं।

7.। जो यह पाठ सुनाई दे सुनें

हनुमंत से सुख पावे।

अर्थ:

जो यह पाठ सुनाते हैं सुनें, हनुमान से सुख पाते हैं।

8.। जो यह पाठ लिखे पढ़ावें

हनुमंत से सुख पावे।

अर्थ:

जो यह पाठ लिखते हैं पढ़ाते हैं, हनुमान से सुख पाते हैं।

9.। जो यह पाठ धारण करें

हनुमंत से सुख पावे।

अर्थ:

जो यह पाठ धारण करते हैं, हनुमान से सुख पाते हैं।

10.। जो यह पाठ भक्ति से करे

हनुमंत से सुख पावे।

अर्थ:

जो यह पाठ भक्ति से करते हैं, हनुमान से सुख पाते हैं।

आपदुद्धारक श्रीहनुमत्सोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो हनुमान की महिमा का अनुभव कराता है। यह स्तोत्र हमें यह भी सिखाता है कि हनुमान की भक्ति करने से हमें सभी प्रकार के संकटों से रक्षा मिलती है और हमें सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त होता है।

आपदुद्धारक का अर्थ है संकटों को दूर करने वालाश्रीहनुमत्सोत्र का अर्थ है श्री हनुमान का स्तोत्र


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