- Version
- Download 677
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date October 6, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्री हनुमत स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की स्तुति करता है। यह स्तोत्र रामायण के सुंदरकांड में पाया जाता है।
स्तोत्र इस प्रकार है:
अतुल बलधामौ हनुमंतकपीश। जाकी कृपा छायाँ छूटहिं पाप की बिषाद।
जिनके बल से सारी दुनिया काँपती है, जिनके आशीर्वाद से पापों का नाश होता है।
जाके चरित्र सुंदर, जाके गुण अनूप। जाको भजन करै पावैं मनोकामना पूरण।
जिनके चरित्र बहुत सुंदर हैं, जिनके गुण अनूठे हैं, जिनकी भक्ति करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जाके बल से लंका विध्वंस होई। जाके भजन करै सदा सुखी रहै।
जिनके बल से लंका का विनाश हुआ, जिनकी भक्ति करने से हमेशा सुखी रहा जाता है।
जाकी महिमा अपार, जाको यश गगनभेदी। जाको भजन करै दुःख दरिद्र मिटै।
जिनकी महिमा अपार है, जिनका यश आकाश को छूता है, जिनकी भक्ति करने से दुख और दरिद्रता मिट जाती है।
॥ जय हनुमंत कपीश ॥
॥ जय जय जय हनुमंत कपीश ॥
इस स्तोत्र में, हनुमान जी को विभिन्न विशेषताओं और शक्तियों से संपन्न बताया गया है। उन्हें अजेय बताया गया है, और कहा गया है कि वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
यहां स्तोत्र का एक सरल अर्थ है:
हनुमान जी, आप अजेय हैं और आपके पास असीम शक्ति है। आपके चरित्र बहुत सुंदर हैं और आपके गुण अनूठे हैं। आपकी भक्ति करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपके बल से लंका का विनाश हुआ और आपकी भक्ति करने से हमेशा सुखी रहा जाता है। आपकी महिमा अपार है और आपका यश आकाश को छूता है। आपकी भक्ति करने से दुख और दरिद्रता मिट जाती है।
जय हनुमंत कपीश! जय जय जय हनुमंत कपीश!
Download