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- Create Date November 5, 2023
- Last Updated November 5, 2023
Ashtamurtistavah
अष्टमूर्तिस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के आठ रूपों की प्रशंसा करता है। इन आठ रूपों को अष्टावतार (आठ अवतार) कहा जाता है। अष्टमूर्तिस्तुति में, भगवान विष्णु को उनके विभिन्न अवतारों में उनकी शक्ति, दया और करुणा की प्रशंसा की जाती है।
अष्टमूर्तिस्तुति के आठ रूप निम्नलिखित हैं:
- मत्स्य अवतार: भगवान विष्णु का पहला अवतार था। उन्होंने महाप्रलय के समय पृथ्वी को एक मछली के रूप में बचाया था।
- कच्छप अवतार: भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था। उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को अपने कवच पर रखा था।
- वराह अवतार: भगवान विष्णु का तीसरा अवतार था। उन्होंने हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए सूअर के रूप में अवतार लिया था।
- नृसिंह अवतार: भगवान विष्णु का चौथा अवतार था। उन्होंने हिरण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को बचाने के लिए आधा मनुष्य और आधा सिंह के रूप में अवतार लिया था।
- वामन अवतार: भगवान विष्णु का पांचवां अवतार था। उन्होंने बलि को हराने के लिए एक ब्राह्मण के रूप में अवतार लिया था।
- परशुराम अवतार: भगवान विष्णु का छठा अवतार था। उन्होंने क्षत्रिय कुल का नाश करने के लिए एक ब्राह्मण के रूप में अवतार लिया था।
- राम अवतार: भगवान विष्णु का सातवां अवतार था। उन्होंने रावण को हराने और सीता को बचाने के लिए राम के रूप में अवतार लिया था।
- कृष्ण अवतार: भगवान विष्णु का आठवां और अंतिम अवतार था। उन्होंने अत्याचारी कंस को हराने और धर्म की स्थापना करने के लिए कृष्ण के रूप में अवतार लिया था।
Ashtamurtistavah
अष्टमूर्तिस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की महिमा और उनकी शक्ति को दर्शाता है। यह भक्तों को भगवान विष्णु की आराधना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
अष्टमूर्तिस्तुति के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- "मत्स्य अवतारं नमस्कृत्य, कच्छप अवतारं नमस्कृत्य, वराह अवतारं नमस्कृत्य, नृसिंह अवतारं नमस्कृत्य, वामन अवतारं नमस्कृत्य, परशुराम अवतारं नमस्कृत्य, राम अवतारं नमस्कृत्य, कृष्ण अवतारं नमस्कृत्य, विष्णु स्तुतिं करिष्यामि।"
इस श्लोक का अर्थ है:
"मैं मछली अवतार, कच्छप अवतार, वाराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार और कृष्ण अवतार की प्रशंसा करता हूं। फिर मैं भगवान विष्णु की स्तुति करूंगा।"
- "विष्णु त्वं सर्वभूताधिप, त्वं सर्वभूताधिपति, त्वं सर्वभूताधिपति, त्वं सर्वभूताधिपति।"
इस श्लोक का अर्थ है:
"हे भगवान विष्णु, आप सभी प्राणियों के स्वामी हैं। आप सभी प्राणियों के स्वामी हैं। आप सभी प्राणियों के स्वामी हैं। आप सभी प्राणियों के स्वामी हैं।"
- "विष्णु त्वं सर्वगुणाधिप, त्वं सर्वगुणाधिपति, त्वं सर्वगुणाधिपति, त्वं सर्वगुणाधिपति।"
इस श्लोक का अर्थ है:
"हे भगवान विष्णु, आप सभी गुणों के स्वामी हैं। आप सभी गुणों के स्वामी हैं। आप सभी गुणों के स्वामी हैं। आप सभी गुणों के स्वामी हैं।"
अष्टमूर्तिस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की महिमा और उनकी शक्ति को दर्शाता है।
आत्मनाथस्तुतिः विष्णुकृता Atmanathstuti: Vishnukrita
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