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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated November 10, 2023
अष्टपदी एक संस्कृत काव्य शैली है। यह एक प्रकार की छंद योजना है जिसमें प्रत्येक पद में आठ मात्राएँ होती हैं। अष्टपदी का प्रयोग भक्ति, प्रेम, श्रद्धा आदि विषयों पर रचित काव्यों में किया जाता है।
अष्टपदी के कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं:
ashtapadee
- प्रत्येक पद में आठ मात्राएँ होती हैं।
- प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं।
- प्रत्येक चरण में चार मात्राएँ होती हैं।
- अष्टपदी में अंतिम दो मात्राएँ अनुप्रासयुक्त होती हैं।
अष्टपदी का एक उदाहरण इस प्रकार है:
नमो नमो गोविन्द! नमो नमो गोपनाथ! नमो नमो नन्दनन्दन! नमो नमो कृष्ण!
यह श्लोक जयदेव द्वारा रचित है। यह श्लोक भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
अष्टपदी का प्रयोग कई प्रसिद्ध कवियों ने किया है, जिनमें जयदेव, सूरदास, मीराबाई, तुलसीदास आदि शामिल हैं।
अष्टपदी के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण इस प्रकार हैं:
- जयदेव द्वारा रचित कृष्णाष्टकम्
- सूरदास द्वारा रचित गोपीगीत
- मीराबाई द्वारा रचित पदावली
- तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस
अष्टपदी एक सुंदर और भावपूर्ण काव्य शैली है। यह भक्तों को भगवान के प्रति भक्ति उत्पन्न करने में सहायक होती है।
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